दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के प्रोफेसर और प्रख्यात राजनीतिक टिप्पणीकार अपूर्वानंद ने हाल ही में एक ऐसी स्थिति का सामना किया जिसने भारत में शैक्षणिक स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर गहरी चिंता पैदा कर दी है।

उन्होंने आरोप लगाया है कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने उन्हें न्यूयॉर्क स्थित एक शैक्षणिक संस्थान द्वारा आयोजित कार्यक्रम में भाग लेने के लिए अवकाश देने से इनकार कर दिया, और उससे भी चिंताजनक बात यह है कि उनसे उनके प्रस्तावित भाषण का पूरा पाठ पहले ही मांग लिया गया — एक ऐसा कदम जिसे उन्होंने “सेंसरशिप” करार दिया।