वैसे तो चीन में अक्सर स्थानीय स्तर पर अधिकारियों की ग़लत नीतियों और उनकी मनमानी के ख़िलाफ़ विरोध-प्रदर्शन होते रहते हैं लेकिन राष्ट्रपति शी जिनपिंग की जीरो कोविड नीति के ख़िलाफ़ हो रहा देशव्यापी प्रदर्शन कोई आम प्रदर्शन नहीं कहा जा सकता। स्थानीय स्तर पर अधिकारियों के ख़िलाफ़ होने वाले प्रदर्शनों का कोई राजनीतिक उद्देश्य नहीं होता, लेकिन जीरो कोविड नीति के ख़िलाफ़ हो रहा प्रदर्शन सीधा राष्ट्रपति शी जिनपिंग की नीतियों और उनके व्यक्तित्व पर चोट कर रहा है इसलिये इसे सख्ती से कुचल दिया जाए तो कोई हैरानी की बात नहीं होगी।
अकल्पनीय: चीन में शी की सत्ता को सीधी चुनौती!
- दुनिया
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- 28 Nov, 2022

चीनी कम्युनिस्ट पार्टी में मज़बूत होते हुए दिख रहे शी जिनपिंग क्या आम जनता की नज़र में कमजोर होते जा रहे हैं? आख़िर उनकी सत्ता को लोग चुनौती क्यों दे रहे हैं और इसके क्या मायने हैं?
जीरो कोविड नीति के ख़िलाफ़ प्रदर्शन के अब राजनीतिक सुधार की मांगों में तब्दील होने की सम्भावना लग रही है और इसे देखकर 1989 के जून में बीजिंग के तियानमेन चौक पर पर हुए क़त्लेआम का स्मरण होता है जब दस लाख से अधिक बीजिंग वासी वहां जनतांत्रिक सुधार की नीतियों को लागू करने की मांग करने सड़क पर उतर आए थे। तब के और आज के दौर के कोविड नीति विरोधी प्रदर्शनों में बड़ा फर्क यह है कि 1989 में जनतंत्र की मांग के लिये प्रदर्शन मुख्यत: बीजिंग तक ही सीमित था। इस बार जीरो कोविड के खिलाफ प्रदर्शन ने देशव्यापी शक्ल ले लिया है।