अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण के यांगत्से इलाके पर नौ दिसम्बर को चीनी सेना की कब्जा की कोशिश को भारतीय सैनिकों ने नाकाम कर अपने साहस और शौर्य का एक बार फिर परिचय दिया है लेकिन इस वारदात पर सरकार क्यों दो दिनों तक मौन रही यह हैरान करने वाली बात है।
अब अरुणाचल में क्यों की चीन ने घुसपैठ की कोशिश?
- विश्लेषण
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- 14 Dec, 2022

भारत और चीन के बीच 3488 किलोमीटर लम्बी वास्तविक नियंत्रण रेखा है जिसके अधिकांश इलाके की निरंतर सैन्य निगरानी की जाती है लेकिन इतनी लम्बी वास्तविक नियंत्रण रेखा के चप्पे चप्पे पर सेना को हमेशा के लिये तैनात नहीं रखा जा सकता। चीनी सेना हमेशा इस ताक में रहती है कि जहां निगरानी में कुछ ढील दी जा रही है वहां अपने सैनिकों को भेजकर कब्जा कर लिया जाए।
घुसपैठ की इस ताजा वारदात ने गलवान में 15 जून, 2020 की उस खुनी रात की याद दिला दी है जब चीनी सैनिकों ने लाठी, भाला और कंटीली बेंतों से भारतीय सैनिकों की पीठ पर वार किया था।
तब भी अपनी जान की परवाह नहीं करते हुए और अधिक संख्या में भारतीय सैनिक वहां चीनियों से लडने चले गए और इस दौरान करीब 40 चीनी सैनिकों को मार गिराया। इसमें भारतीय सेना के 20 सैनिकों ने भी अपनी कुर्बानी दी।