कोरोना महामारी और रूस-यूक्रेन युद्ध की छाया में इंडोनेशिया के बाली में 15-16 नवम्बर को आयोजित जी-20 की 17वीं शिखर बैठक पर विकसित व विकासशील देशों के अपने राष्ट्रीय राजनीतिक व आर्थिक हित हावी रहे। 2008 के गम्भीर वित्तीय संकट के बाद के बिगड़े आर्थिक हालात से निबटने के लिये जैसी एकजुटता जी-20 के विकसित व विकासशील सदस्य देशों में देखी गई थी वह इस बार नदारद ही रही। यही वजह है कि जी-20 शिखर बैठक के बाद जारी बाली घोषणा पत्र में केवल मुहावरों से भरी बयानबाजी ही देखी गई, खाद्य एवं ऊर्जा संकट के अभूतपूर्व दौर से उबरने के लिये क्या ठोस क़दम उठाए जाने चाहिए इस पर कोई सहमति नहीं हो सकी।
जी-20 क्यों नहीं खोज सका यूक्रेन युद्ध का हल?
- विचार
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- 17 Nov, 2022

इंडोनेशिया के बाली में हुए जी20 शिखर सम्मेलन से क्या हासिल हुआ? क्या आर्थिक सहयोग को लेकर कुछ बात बनी? क्या यूक्रेन युद्ध पर कुछ ठोस निर्णय हुआ?
हालाँकि, जी-20 संगठन विकसित एवं विकासशील देशों के बीच आर्थिक सहयोग के मसलों पर चर्चा करने के लिये ही स्थापित किया गया था लेकिन बाली में रूस-यूक्रेन युद्ध का मसला ही छाया रहा। दुनिया आज जिस आर्थिक बदहाली के दौर से गुजर रही है उसके लिये कोरोना महामारी और रूस-यूक्रेन युद्ध को ही ज़िम्मेदार माना जा रहा है। कोरोना महामारी व यूक्रेन युद्ध की वजह से दुनिया के सभी गरीब व अमीर देशों की अर्थव्यवस्थाएँ बुरी तरह प्रभावित हुई हैं और इन दोनों वजहों से माल आपूर्ति की कड़ी यानी सप्लाई चेन पर इतना बुरा असर पड़ा है कि बड़े-बड़े उद्योग-धंधे चौपट हो गए। मिसाल के तौर पर भारत का वाहन उद्योग सेमीकंडक्टर चिप्स की सप्लाई नहीं होने की वजह से कुछ महीनों के लिये ठप रहा। इसी तरह यूक्रेन से गेहूं निर्यात पर रूसी अड़चन की वजह से एशिया और अफ्रीका के कई देशों में खाद्य आपूर्ति का भारी संकट पैदा हो गया।