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मुइज्जू सरकार को गिराने की विपक्ष की 'साज़िश' में भारत का नाम क्यों जुड़ रहा?

क्या मालदीव में मोहम्मद मुइज्जू की सरकार को गिराने के लिए वहाँ की विपक्षी दलों ने साज़िश रची थी? यदि उन्होंने ऐसा किया था तो उससे भारत का नाम क्यों जुड़ रहा है? वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट में तो कुछ ऐसे ही दावे किए गए हैं। रिपोर्ट के अनुसार मालदीव के विपक्षी दल मालदीव डेमोक्रेटिक पार्टी यानी एमडीपी ने कथित तौर पर भारत से 6 मिलियन अमेरिकी डॉलर मांगे थे जिससे कि राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के ख़िलाफ़ महाभियोग चला सके। रिपोर्ट के अनुसार विपक्षी दल मुइज्जू को सत्ता से बेदखल करने के लिए महाभियोग चलाने की तैयारी कर रहे थे लेकिन उनके पास पर्याप्त सांसद नहीं थे और इसीलिए सांसदों को इसके लिए तैयार करने के लिए इन पैसों की ज़रूरत थी। हालाँकि, रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि यह योजना सफल नहीं हुई।

अमेरिका के प्रतिष्ठित अख़बार की रिपोर्ट में दस्तावेजों के हवाले से कहा गया है कि विपक्षी दलों की कम से कम 40 सदस्यों को घूस देने की योजना थी। जिन सदस्यों को घूस देना तय हुआ था उनमें राष्ट्रपति मुइज्जू की पार्टी के सांसद भी थे। हालाँकि, मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद ने मुइज्ज़ू के खिलाफ ऐसी किसी साजिश के बारे में जानकारी होने से इनकार किया और कहा कि भारत कभी भी इस तरह के कदम का समर्थन नहीं करेगा।

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अख़बार ने यह दावा किस आधार पर किया है, यह जानने से पहले यह जान लें कि आख़िर मुइज्जू ने संसद चुनाव में किस तरह जीत हासिल की और मुइज्जू का भारत के साथ किस तरह का रिश्ता रहा है। 

मुइज्जू की पार्टी पीपुल्स नेशनल कांग्रेस ने इस साल अप्रैल में पूर्ण बहुमत के साथ मालदीव के संसदीय चुनावों में जीत हासिल की। ​​93 सदस्यीय सदन के लिए हुए चुनावों में मुइज्ज़ू की पार्टी ने 86 में से 66 सीटें जीतीं। पिछले साल नवंबर में मुइज्जू के राष्ट्रपति बनने के कुछ समय बाद ही वहाँ की विपक्षी पार्टियों ने उनके ख़िलाफ़ मोर्चा खोल दिया था। बाद में ख़बर आई थी कि विपक्षी दलों ने मुइज्जू के ख़िलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की तैयारी की है। हालाँकि उनका महाभियोग प्रस्ताव आगे नहीं बढ़ पाया और मुइज्जू की सरकार सुरक्षित रही। 

नवंबर 2023 में मालदीव के नए राष्ट्रपति बने मुइज्जू ने भारत के साथ संबंधों को कम करने और चीन के साथ जुड़ाव बढ़ाने के लिए अभियान चलाया हुआ था। उन्होंने आधिकारिक तौर पर भारत से देश में तैनात सैन्य कर्मियों को वापस लेने का अनुरोध किया था। अक्टूबर महीने में राष्ट्रपति का चुनाव जीतने के बाद मुइज्जू ने कहा था कि लोग नहीं चाहते हैं कि भारत के सैनिकों की मौजूदगी मालदीव में हो और विदेशी सैनिकों को मालदीव की ज़मीन से जाना होगा।

मुइज्जू ने भारत के साथ तनाव के बीच चीन की अपनी यात्रा से लौटते ही कहा था कि भारत सरकार 15 मार्च से पहले द्वीपसमूह राष्ट्र से अपनी सैन्य उपस्थिति हटा ले।

पर्यटन पर तनातनी

पर्यटन को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाना बनाने वाले मालदीव के मंत्रियों की अपमानजनक टिप्पणियों के बाद दोनों देशों के बीच तनावपूर्ण राजनयिक संबंध और भी बिगड़ गए थे। भारत-मालदीव संबंध हाल ही में तब और खराब हो गए थे जब मालदीव के नेताओं, मंत्रियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लक्षद्वीप यात्रा का मजाक उड़ाया था। इंटरनेट पर कई लोगों द्वारा लक्षद्वीप के प्राचीन समुद्र तटों की तुलना मालदीव से किए जाने के बाद मालदीव के मंत्रियों ने अपमानजनक टिप्पणियों के साथ प्रतिक्रिया व्यक्त की थी।

इस पर भारत की ओर से तीखी आलोचना हुई और कई लोगों ने मालदीव के बहिष्कार का आह्वान किया। भारत ने आधिकारिक तौर पर मालदीव के साथ इस मुद्दे को उठाया और तीन मंत्रियों, मालशा शरीफ, मरियम शिउना और अब्दुल्ला महज़ूम माजिद को मुइज्जू सरकार द्वारा निलंबित कर दिया गया था।

इसी बीच, मालदीव की विपक्षी पार्टियों ने मुइज्जू के ख़िलाफ़ महाभियोग लाने की तैयारी की थी। अब इसी महाभियोग को लेकर वाशिंगटन पोस्ट ने ताज़ा रिपोर्ट दी है।
अख़बार ने दावा किया है कि राष्ट्रपति को पद से हटाने के लिए सिर्फ़ सांसदों को ही अपने पाले में करने की योजना नहीं थी, बल्कि कई वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों और पुलिस अधिकारियों को भी इसके लिए भुगतान किए जाने की योजना थी। इसके अलावा देश के तीन प्रभावशाली आपराधिक गिरोहों की सहायता लेने की योजना भी थी।

रिपोर्ट में कहा गया है, "वाशिंगटन पोस्ट के हाथ लगे 'डेमोक्रेटिक रिन्यूअल इनिशिएटिव' नामक एक आंतरिक दस्तावेज़ में मालदीव के विपक्षी राजनेताओं ने मुइज्जू की अपनी पार्टी पीपुल्स नेशनल कांग्रेस के सदस्यों सहित 40 संसद सदस्यों को रिश्वत देने का प्रस्ताव रखा, ताकि वे उन पर महाभियोग चलाने के लिए मतदान कर सकें।" इसमें कहा गया है, 'विभिन्न दलों को भुगतान करने के लिए षड्यंत्रकारियों ने 87 मिलियन मालदीवियन रुफ़िया या 6 मिलियन अमरीकी डॉलर मांगे और मालदीव के दो अधिकारियों के अनुसार, यह भारत से मांगा जाना तय हुआ।'

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रॉ का भी नाम आया

दस्तावेज के अनुसार, जनवरी 2024 तक, भारत की खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग यानी रॉ से जुड़े व्यक्तियों ने मुइज्जू को हटाने की संभावना तलाशने के लिए मालदीव के विपक्षी नेताओं के साथ गुप्त चर्चा शुरू कर दी थी। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि कुछ हफ़्तों के भीतर एक योजना सामने आई, लेकिन महीनों की गुप्त बातचीत के बावजूद, यह विचार महाभियोग चलाने के लिए पर्याप्त संसदीय समर्थन जुटाने में विफल रहा।

हालाँकि, मीडिया रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इस बात पर कोई स्पष्टता नहीं है कि इस योजना को दिल्ली में वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों ने मंजूरी दी थी या नहीं और क्या भारत मुइज्जू के खिलाफ महाभियोग का समर्थन करने पर विचार कर रहा था। मालदीव के दो अज्ञात अधिकारियों ने अमेरिकी दैनिक से पुष्टि की कि चर्चा तो हुई, लेकिन योजना मूर्त रूप नहीं ले सकी। रिपोर्ट के प्रकाशित होने तक विदेश मंत्रालय ने वाशिंगटन पोस्ट द्वारा किए गए दावों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। अख़बार की रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद ने भी कहा कि भारत ने मालदीव में विपक्ष को कभी भी शर्तें नहीं बताईं।

नशीद ने ट्वीट में कहा, 'मैंने आज के वाशिंगटन पोस्ट लेख को दिलचस्पी से पढ़ा। मुझे राष्ट्रपति के खिलाफ किसी गंभीर साजिश के बारे में पता नहीं था; हालांकि कुछ लोग हमेशा साजिश में जीते हैं। भारत कभी भी ऐसे कदम का समर्थन नहीं करेगा, क्योंकि वे हमेशा मालदीव के लोकतंत्र का समर्थन करते हैं। भारत ने कभी भी हमारे लिए शर्तें तय नहीं की हैं।' 

बता दें कि भारत और मालदीव के बीच पिछले क़रीब एक साल से चल रहे ख़राब संबंध हाल में सुधरते दिख रहे हैं। भारतीय प्रधानमंत्री मोदी और मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने अक्टूबर महीने में व्यापक चर्चा की और दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने की प्रतिबद्धता जताई। मुइज्जू ने डैमेज कंट्रोल करते हुए मालदीव के लिए उदार सहायता के लिए भारत को धन्यवाद दिया और इसको प्रमुख साझीदार क़रार दिया था।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्ज़ू के साथ बैठक के दौरान भारत की 'पड़ोसी पहले' नीति और सागर (क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास) दृष्टिकोण में मालदीव की महत्वपूर्ण भूमिका बताई। दोनों नेताओं ने देशों के बीच तनावपूर्ण संबंधों की अवधि के बाद द्विपक्षीय संबंधों को गहरा करने पर चर्चा की थी।

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क़मर वहीद नक़वी
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