वरिष्ठ सीपीएम नेता और केरल के सीएम पिनाराई विजयन ने मंगलवार को महाराष्ट्र के मंत्री नीतेश राणे की आलोचना करते हुए आरएसएस को निशाने पर लिया। विजयन ने कहा कि भाजपा नेता और मंत्री नितेश राणे का केरल को "मिनी पाकिस्तान" बताने वाला बयान बेहद उत्तेजक और निंदनीय है।
महाराष्ट्र के पुणे में एक कार्यक्रम में राणे ने कहा था, ''केरल मिनी पाकिस्तान है... इसीलिए राहुल गांधी और उनकी बहन वहां से चुने जाते हैं। सभी आतंकवादी उन्हें वोट देते हैं। यह सच है, आप पूछ सकते हैं वे आतंकवादियों को अपने साथ लेकर सांसद बने हैं।'' हालांकि बाद में नीतेश राणा ने अपने बयान को संशोधित करते हुए कहा था कि उन्होंने इस बात को ऐसे नहीं कहा था, मीडिया ने उसे बदला है। लेकिन राणे के बयान के वीडियो मौजूद हैं, इसलिए उनकी सफाई बेकार है।
केरल के सीएम विजयन ने मंगलवार को कहा, “महाराष्ट्र के मंत्री के शब्द केरल के प्रति संघ परिवार के नजरिये को दर्शाते हैं। संघ परिवार का मानना है कि वह ऐसे नफरत भरे अभियान चलाकर उन जगहों को अलग-थलग कर सकता है जहां उसे नियंत्रण हासिल करना मुश्किल लगता है। यह मंत्री अपने पद पर बने रहने के लायक नहीं हैं। यह हैरानी की बात है कि देश पर शासन करने वाली पार्टी के नेतृत्व ने मंत्री के बयान पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, जिन्होंने देश के संविधान का अपमान करके पद की शपथ का उल्लंघन किया है।“
यह पहला मौका नहीं है जब भाजपा ने केरल के चुनाव को साम्प्रदायिक नजरिये से देखा है। 2019 में भी, जब राहुल ने वायनाड में अपना पहला चुनाव जीता था तो भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व ने पाकिस्तान का जिक्र किया था। उस समय उनके नामांकन दाखिल करने से पहले, कांग्रेस की सहयोगी इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) के हरे झंडे तिरंगे के साथ लहराते देखे गए थे। चूंकि वो झंडा मुस्लिम लीग का था लेकिन बीजेपी उस झंडे को पाकिस्तान का कहती है जो तथ्यात्मक रूप से भी गलत है। उस समय, तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कांग्रेस पर हमला किया था: "जब कोई जुलूस निकाला जाता है, तो आप यह पता नहीं लगा सकते कि यह भारत या पाकिस्तान का जुलूस है।" अमित शाह ने भी अप्रत्यक्ष रूप से मुस्लिम लीग के झंडे की तरफ संकेत दिया था।
वायनाड लोकसभा सीट पर करीब 41 फीसदी मुस्लिम मतदाता, 45 फीसदी हिंदू मतदाता और 13 फीसदी ईसाई मतदाता हैं। महाराष्ट्र कांग्रेस के नेताओं ने भी नीतेश राणे के बयान की आलोचना की। कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता अतुल लोंढे ने उन्हें महाराष्ट्र मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने की मांग करते हुए सवाल किया कि क्या राष्ट्रीय एकता को कमजोर करने वाला कोई व्यक्ति पद संभालने का हकदार है। अतुल ने कहा- “यह मंत्री केरल को पाकिस्तान और विपक्ष के मतदाताओं को आतंकवादी बता रहे हैं। क्या इस व्यक्ति को कैबिनेट में बने रहने का अधिकार है?” विपक्ष के पूर्व नेता विजय वडेट्टीवार ने भी टिप्पणियों की निंदा की, इसे "एक राज्य का अपमान और भारत की एकता पर हमला" बताया। उन्होंने महायुति गठबंधन के भड़काऊ बयानों के लिए केंद्र सरकार से जवाबदेही की मांग की।
कांग्रेस ने भी राणे के बयान की निंदा की, लेकिन उसने वायनाड में राहुल और प्रियंका की जीत के बारे में सीपीएम नेताओं के हालिया बयानों से उसे जोड़ने की कोशिश की। एआईसीसी महासचिव केसी वेणुगोपाल ने पूछा कि क्या पीएम मोदी और केरल के सीएम का विचार एक जैसा है। वेणुगोपाल ने कहा कि नीतेश राणे ने केरल की धर्मनिरपेक्ष मानसिकता को चोट पहुंचाई है। लोग जानना चाहते हैं कि क्या प्रधानमंत्री और केरल के मुख्यमंत्री का विचार एक जैसा है। यह सीपीएम का रुख है जिसने भाजपा को सांप्रदायिक जहर उगलने के लिए प्रेरित किया। राणे को पद छोड़ देना चाहिए और उन्हें अयोग्य ठहराया जाना चाहिए। कांग्रेस उस बयान के खिलाफ राजनीतिक और कानूनी रूप से लड़ेगी जिसमें वायनाड के लोगों को आतंकवादी के रूप में चित्रित किया गया है।
नीतेश राणे ने बचाव में फिर जहर उगला
राणे ने अपने बयानों का बचाव उसी तरह किया, जैसा कि फिल्म द केरल स्टोरी में दिखाया गया है। उन्होंने बिना सबूत के आरोप लगाया कि केरल में बड़ी संख्या में हिंदुओं को "लव जिहाद" के माध्यम से इस्लाम और ईसाई धर्म में परिवर्तित किया जा रहा है, इस दावे का तथ्यों में कोई आधार नहीं है।
राणे ने कहा कि केरल में हिंदुओं की आबादी घट रही है, और हिंदुओं का ईसाई और मुसलमानों में धर्म परिवर्तन एक दैनिक घटना बन रही है। वहां लव जिहाद के मामले बढ़ रहे हैं। हालाँकि, केंद्रीय गृह मंत्रालय कह चुका है कि भारतीय कानून में "लव जिहाद" को परिभाषित करने का कोई प्रावधान नहीं है और कोई भी विश्वसनीय सबूत ऐसी घटना के अस्तित्व का समर्थन नहीं करता है।
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