चाबहार पोर्ट को विकसित करने पर भारत-ईरान ने सोमवार को दस साल का समझौता किया। लेकिन इस समझौते पर अमेरिका की नजरें टेढ़ी हो गईं हैं। उसने प्रतिबंधों की धमकी दी है। हालांकि अमेरिका खुद को भारत का अच्छा मित्र बताता रहा है लेकिन उसे चाबहार पर भारत-ईरान समझौता हजम नहीं हो रहा है। भारत ने यह रणनीतिक समझौता ऐसे समय में किया है जब पाकिस्तान कराची और ग्वादर पोर्ट को विकसित करने के लिए चीन की मदद काफी समय से ले रहा है। ग्वादर और चाबहार कारोबार की नजर से बहुत महत्वपूर्ण बंदरगाह हैं। ईरान, अफगानिस्तान और मध्य एशियाई देशों में माल ट्रांसपोर्ट के लिए ओमान की खाड़ी के साथ-साथ ईरान के दक्षिण-पूर्वी तट पर चाबहार महत्वपूर्ण केंद्र है। इसीलिए भारत की दिलचस्पी इस पोर्ट में है।
ईरान के साथ चाबहार डील पर यूएस परेशान, प्रतिबंध की धमकी क्यों दे रहा?
- दुनिया
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- 29 Mar, 2025
चाबहार बंदरगाह के लिए भारत-ईरान समझौता अमेरिका को चुभ गया है। उसने पाबंदियों की याद दिलाते हुए धमकी दी है। लेकिन भारत के लिए यह समझौता आर्थिक रूप से काफी महत्वपूर्ण है। इसलिए समझौते से पहले ही भारत ने इसके नफा-नुकसान पर विचार किया होगा। यही वजह है कि भारत ने बिना किसी परवाह के यह समझौता किया है। जानिए भारत के लिए यह समझौता क्यों महत्वपूर्ण हैः
