काबुल एयरपोर्ट पर आत्मघाती हमले के लिए दोषियों से अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने बदला लेने की चेतावनी दी है। उन्होंने कहा है कि वह दोषियों को ढूंढ निकालेंगे और सबक़ सिखाएँगे। ह्वाइट हाउस से जो बाइडेन का यह संबोधन तब आया है जब रिपोर्टें हैं कि काबुल के उस आत्मघाती हमले में 13 अमेरिकी मारे गए हैं। शुरुआती रिपोर्टों में कहा गया था कि 12 अमेरिकी सैनिक मारे गए हैं, लेकिन बाद में यह संख्या बढ़ गई। कई और सैनिकों के भी घायल होने की ख़बरें हैं।
माना जाता है कि अफ़ग़ानिस्तान में एक साथ इतनी बड़ी संख्या में अमेरिकी सैनिकों की मारे जाने की घटना 2001 के बाद पहली बार हुई है। इससे पहले अगस्त 2011 में एक हेलीकॉप्टर को मार गिराए जाने के बाद एक साथ 30 कर्मियों की मौत हो गई थी।
हमलों के बाद शुरुआती रिपोर्ट में जिस आईएसआईएस-के को इस विस्फोट के लिए ज़िम्मेदार होने की आशंका जताई जा रही थी उसने इस घटना की ज़िम्मेदारी ली है। आईएसआईएस यानी इस्लामिक स्टेट से जुड़े आईएसआईएस-के ने कहा है कि उसके एक आत्मघाती हमलावर ने 'अमेरिकी सेना के अनुवादकों और सहयोगियों' को निशाना बनाया।
बाइडेन ने गुरुवार को हमले के बाद दोषियों को पकड़ने के लिए पेंटागन को यह योजना बनाने का आदेश दिया है कि इस्लामिक स्टेट से जुड़े आईएसआईएस-के पर कैसे हमला किया जाए।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने हमले के लिए ज़िम्मेदार इस्लामिक स्टेट से जुड़े चरमपंथियों को संबोधित करते हुए कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका इस कृत्य को न तो भूलेगा और न ही माफ करेगा। उन्होंने कहा,
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इस हमले को अंजाम देने वालों के साथ-साथ अमेरिका को नुक़सान पहुँचाने वाले किसी भी व्यक्ति को यह पता है: हम माफ नहीं करेंगे। हम भूलेंगे नहीं। हम आपका शिकार करेंगे और आपको इसका खामियाजा भुगताना होगा।
जो बाइडेन, अमेरिकी राष्ट्रपति
इसके साथ ही बाइडेन ने यह भी कहा कि 'काबुल एयरपोर्ट पर हुए हमलों में अब तक तालिबान और इस्लामिक स्टेट के बीच मिलीभगत का कोई सबूत नहीं है।'
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बता दें कि काबुल हवाई अड्डे के बाहर गुरुवार शाम दो जबरदस्त बम धमाके हुए, उसके बाद गोलियाँ चलीं, जिनमें अब तक 60 लोगों की मौत हो चुकी है। लगभग 140 लोग घायल हो गए हैं। घायलों व मृतकों में अमेरिकी सैनिक भी हैं। अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन ने धमाकों की पुष्टि की है। एएफ़पी की रिपोर्ट के अनुसार उन दो धमाकों के बाद एक तीसरा विस्फोट भी हुआ था।
हमले के बाद एक अफ़ग़ान चश्मदीद ने कहा, 'एक पल के लिए मुझे लगा कि मेरे कान के परदे फट गए हैं और मैंने सुनने की शक्ति खो दी है। मैंने शरीर और शरीर के अंगों को उस तरह हवा में उड़ते देखा जैसे बवंडर प्लास्टिक की थैलियों को उड़ाता है। मैंने शवों, शरीर के अंगों, बुजुर्गों और घायल पुरुषों, महिलाओं और बच्चों को बिखरे हुए देखा।'
तालिबान के कब्जे के बाद पहली बार हुए इस धमाके के बाद दुनिया भर में सनसनी फैल गई। इस धमाके ने इसलिए दुनिया भर को हिलाकर रख दिया क्योंकि अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद विदेशी नागरिकों, सैनिकों और अफ़ग़ानिस्तान छोड़ने के आतुर लोगों को वहाँ से निकाला जा रहा है।
अमेरिका के कई सहयोगी देश अफ़ग़ानिस्तान से निकलने के लिए तय आख़िरी तारीख़ 31 अगस्त को बढ़ाना चाह रहे हैं। ऐसा इसलिए कि हज़ारों की संख्या में अभी भी काबुल एयरपोर्ट पर लोगों की भीड़ जमा है जो अफ़ग़ानिस्तान से किसी तरह बाहर जाना चाहती है। इसी बीच ये धमाके हो गये।
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