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पंजाब कांग्रेस में ग़ज़ब का संकट चल रहा है। कांग्रेस के 80 विधायकों में से जहाँ 4 मंत्रियों समेत 34 विधायकों द्वारा बैठक कर मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को हटाए जाने की मांग की गई थी वहीं अब कैप्टन अमरिंदर सिंह खेमे की ओर से दावा किया गया है कि 58 विधायक उनके पक्ष में हैं। दरअसल, कैबिनेट बैठक से तीन मंत्री के ग़ायब रहने पर पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के वफादारों ने गुरुवार को ताक़त का प्रदर्शन किया। पार्टी नेताओं ने गुरुवार रात को दावा किया कि 50 से अधिक विधायक और 8 सांसद मुख्यमंत्री के जाने-माने वफादार कैबिनेट मंत्री राणा गुरमीत सोढ़ी के घर पर आयोजित रात्रिभोज में शामिल हो रहे हैं।
मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के मीडिया सलाहकार रवीन ठुकराल ने इसको लेकर गुरुवार रात कई तसवीरों को ट्वीट करते हुए लिखा, 'मैंने समान विचारधारा वाले पंजाब कांग्रेस के सांसदों और विधायकों को रात के खाने के लिए आमंत्रित किया था। 58 विधायकों और 8 सांसदों ने मेरे निमंत्रण को सहर्ष स्वीकार कर लिया और विश्वास व्यक्त किया कि पार्टी कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में 2022 का चुनाव जीतेगी। यात्रा आज से शुरू हो गई है'।
‘I’d invited like-minded @INCPunjab MPs & MLAs for dinner. 58 MLAs & 8 MPs graciously accepted my invitation & expressed the confidence that the party would win the 2022 polls under the leadership of @capt_amarinder. The journey has started today’: @iranasodhi pic.twitter.com/HkHYIJpzU7
— Raveen Thukral (@RT_MediaAdvPBCM) August 26, 2021
कैप्टन अमरिंदर सिंह खेमे के इस शक्ति प्रदर्शन से पहले नवजोत सिंह सिद्धू के खेमे ने भी इसी तरह ताक़त का प्रदर्शन किया था। दो दिन पहले ही ख़बर आई थी कि 34 विधायकों ने मंगलवार को एक बैठक की और कैप्टन अमरिंदर सिंह को बदलने की मांग की। बताया गया कि इस बैठक में चार मंत्री भी शामिल रहे और उन्होंने कथित तौर पर कहा कि उन्हें अब अमरिंदर सिंह पर भरोसा नहीं रहा है। ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ ने ख़बर दी थी कि यह बैठक कैबिनेट मंत्री तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा के सरकारी आवास पर हुई थी। हालाँकि इस बैठक में सिद्धू और प्रदेश कांग्रेस के चार कार्यकारी अध्यक्ष मौजूद नहीं रहे थे लेकिन बैठक में शामिल कुछ विधायकों ने बाद में कांग्रेस मुख्यालय में सिद्धू से मुलाक़ात की थी।
पंजाब कांग्रेस में चल रही इस उठा-पटक के मामले में पंजाब कांग्रेस के प्रभारी हरीश रावत ने भी गुरुवार को दखल दी। 34 विधायकों की बैठक की ख़बर के बाद उन्होंने नवजोत सिंह सिद्धू के सलाहकारों के बयानों को लेकर कड़ी चेतावनी दी। रावत ने कहा कि सिद्धू को इन सलाहकारों को हटा देना चाहिए और ज़रूरत पड़ी तो वे इन्हें हटाने का निर्देश देंगे।
इस बयान से साफ़ लगता है कि पहली बार में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के पुरजोर विरोध के बाद भी नवजोत सिंह सिद्धू को प्रदेश अध्यक्ष बनाने वाला हाईकमान इस बार कैप्टन के साथ है। साथ ही वह सिद्धू से ख़फ़ा है, यह बात भी उसने साफ़ कर दी है। हरीश रावत ने कल एनडीटीवी के साथ बातचीत में कहा था कि सिद्धू के सलाहकारों के बयान पर पार्टी को सख़्त आपत्ति है और जम्मू-कश्मीर भारत का अविभाज्य अंग है। सिद्धू ने हाल ही में चार सलाहकार नियुक्त किए थे। लेकिन इनमें से दो सलाहकारों मलविंदर सिंह माली और प्यारे लाल गर्ग के विवादित बयानों ने पार्टी को मुसीबत में डाल दिया है।
माली ने कुछ दिन पहले एक फ़ेसबुक पोस्ट में लिखा था, 'कश्मीर कश्मीरियों का देश है। 1947 में अंग्रेजों के भारत छोड़ते वक़्त किए गए समझौते के अनुसार और यूएनओ के फ़ैसले के ख़िलाफ़, कश्मीर को दो भागों में बांट दिया गया और इस पर भारत और पाकिस्तान ने कब्जा कर लिया।'
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