ब्रिटेन और अमेरिका जैसे विकसित, उदार और मानवीय मूल्यों के प्रति सजग माने वाले देशों में क्या भेदभाव और नस्ली भेदभाव की कल्पना की जा सकती है? लेकिन हाल की रिपोर्टें इस सच्चाई को उजागर करती हैं। पहले ब्रिटेन से एक ख़बर आई थी कि वहाँ संस्थागत रूप में नस्ली भेदभाव है और काले आप्रवासियों या विदेशियों को महारानी एलिज़ाबेथ के यहाँ केवल सेवकों के रूप में तो रखा जाता था, दफ़्तरी कर्मचारियों के रूप में नहीं। अब अमेरिका से एक सर्वे की रिपोर्ट आई है जिसमें कहा गया है कि भारतीय मूल के अमेरिकियों के साथ नियमित रूप से भेदभाव होता है।