न तो कोरोना के जल्द ख़त्म होने की संभावना है और न ही इसके लिए दवा बनी है। इसके बावजूद दुनिया के कई देशों की तरह भारत में भी लॉकडाउन में ढील दी जा रही है और कहा जा रहा है कि कोरोना वायरस के साथ ही जीना सीखना होगा। लेकिन उस स्थिति में क्या होगा जब इस वायरस के कारण बच्चों में दुर्लभ बीमारी होने के संकेत मिले? तो क्या आने वाली पीढ़ियों को भी वायरस से जुड़ी इस दुर्लभ बीमारी के साथ रहने की आदत डालनी होगी?
बच्चों में कोरोना वायरस से जुड़ी दुर्लभ बीमारी के संकेत, अब इससे कैसे निपटेंगे?
- दुनिया
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- सत्य ब्यूरो
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- 14 May, 2020
दुनिया के कई देशों की तरह भारत में भी लॉकडाउन में ढील दी जा रही है और कहा जा रहा है कि कोरोना वायरस के साथ ही जीना सीखना होगा। लेकिन उस स्थिति में क्या होगा जब इस वायरस के कारण बच्चों में दुर्लभ बीमारी होने के संकेत मिले?

यह सवाल इसलिए उठता है क्योंकि कोरोना वायरस के फिर से तेज़ी से फैलने की आशंकाओं के बीच ही भारत में रेड ज़ोन को छोड़कर दूसरे क्षेत्रों में लॉकडाउन में ढील दी जा रही है। कोरोना महामारी के कारण लंबे समय तक लॉकडाउन में रहे दुनिया के कई देशों में लॉकडाउन को हटाया गया है तो कई देशों में मामूली ढील दी गई है। हालाँकि कहीं पर भी कोरोना वायरस ख़त्म नहीं हुआ है, लेकिन कई देश वायरस को फैलने से रोकने और अर्थव्यवस्था को भी धीरे-धीरे पटरी पर लाने के बीच संतुलन लाने की कोशिश में हैं। नीदरलैंड्स और वियतनाम जैसे देशों में बच्चों के लिए स्कूल खोल दिए गए तो फ़्रांस, बेल्जियम, स्पेन जैसे देशों में आंशिक रूप से लॉकडाउन को खोला गया और लोगों को बाहर जाने की अनुमति दी गई। हालाँकि भारत में स्कूल नहीं खोले गए हैं, लेकिन धीरे-धीरे लॉकडाउन में ढील दी जा रही है। ऐसे में क्या डॉक्टरों का यह शोध भारत सहित दुनिया भर के देशों के लिए चेतावनी है?
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