न तो कोरोना के जल्द ख़त्म होने की संभावना है और न ही इसके लिए दवा बनी है। इसके बावजूद दुनिया के कई देशों की तरह भारत में भी लॉकडाउन में ढील दी जा रही है और कहा जा रहा है कि कोरोना वायरस के साथ ही जीना सीखना होगा। लेकिन उस स्थिति में क्या होगा जब इस वायरस के कारण बच्चों में दुर्लभ बीमारी होने के संकेत मिले? तो क्या आने वाली पीढ़ियों को भी वायरस से जुड़ी इस दुर्लभ बीमारी के साथ रहने की आदत डालनी होगी?