श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने शुक्रवार को अपने भाई महिंदा राजपक्षे को प्रधानमंत्री पद से हटाने पर सहमति जताई है। न्यूज़ एजेंसी एपी ने यह ख़बर दी है। उनका यह फ़ैसला ऐसे समय में आया है जब वहाँ एक सर्वदलीय सरकार के गठन पर चर्चा के लिए बैठक बुलाई गई थी लेकिन कुछ असंतुष्टों ने यह कहते हुए बैठक में शामिल होने से इनकार कर दिया है कि वे प्रधानमंत्री की उपस्थिति में बैठक में शामिल नहीं होंगे। देश में मौजूदा आर्थिक संकट के ख़िलाफ़ लगातार प्रदर्शन हो रहे हैं और राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को पद से इस्तीफा दिए जाने की मांग की जा रही है।
श्रीलंका में गुरुवार को राष्ट्रपति राजपक्षे के इस्तीफे की मांग करते हुए एक आम हड़ताल की गई। ख़राब आर्थिक संकट को लेकर इस महीने की शुरुआत में सरकार के ख़िलाफ़ शुरू हुए विरोध प्रदर्शन तेज हो गए हैं। सभी क्षेत्रों के कर्मचारी हड़ताल में शामिल हुए जिससे सार्वजनिक परिवहन बंद हो गया।
भयंकर आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका ने क़रीब एक पखवाड़े ही कहा था कि वह अपने ऊपर चढ़ा 51 अरब डॉलर का विदेशी कर्ज नहीं चुका पाएगा। श्रीलंका सरकार के वित्त मंत्रालय ने कहा है कि इस विदेशी कर्ज में विदेशी सरकारों से लिया गया लोन भी शामिल है और यह कदम हालात को और खराब होने से रोकने के लिए उठाया गया है।
श्रीलंका में हालात बेहद ख़राब हैं और ईंधन, दवाएं, खाने का सामान सहित अन्य ज़रूरी चीजों के लिए लोग बेहद परेशान हैं और सरकार के ख़िलाफ़ लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं।
श्रीलंका में हालात इस कदर खराब हो गए थे कि बीते दिनों वहां आपातकाल लगाना पड़ा था। सरकार की कोशिश इसके जरिए लगातार बढ़ रहे विरोध प्रदर्शनों को रोकने की थी लेकिन विरोध प्रदर्शन जारी हैं और कुछ दिन बाद सरकार को खुद ही आपातकाल हटाना पड़ा।
श्रीलंका में राज्य सेवा, स्वास्थ्य, बंदरगाह, बिजली, शिक्षा और डाक जैसे सभी क्षेत्रों की यूनियनें गुरुवार को देशव्यापी हड़ताल में शामिल हुईं। कर्मचारियों के हड़ताल में शामिल होने से व्यापार, सार्वजनिक परिवहन, ट्रेन सेवाएं, बैंकिंग सेवाएं और स्कूल बाधित हो गए।
सर्वदलीय सरकार के गठन को लेकर होने वाली बैठक में सत्तारूढ़ गठबंधन के असंतुष्ट सदस्यों में से एक वासुदेव नानायकारा ने गुरुवार को संवाददाताओं से कहा था, 'हम बैठक के लिए जा रहे हैं, लेकिन एक शर्त के तहत कि यह प्रधानमंत्री की उपस्थिति के बिना होनी चाहिए।' हालाँकि महिंदा ने इस्तीफा देने से इनकार कर दिया है, लेकिन बुधवार को पार्टियों को राष्ट्रपति के पत्र में कहा गया है कि पीएम के इस्तीफे के बाद सर्वदलीय सरकार बनाई जा सकती है।
बहरहाल, राष्ट्रपति राजपक्षे से मुलाक़ात के बाद सांसद मैत्रीपाला सिरिसेना ने कहा कि राष्ट्रपति राजपक्षे ने इस बात पर सहमति जताई है कि नए प्रधानमंत्री का चयन करने के लिए एक राष्ट्रीय परिषद नियुक्त की जाएगी और संसद में सभी दलों को शामिल किया जाएगा। बता दें कि गोटाबाया राजपक्षे के पदभार संभालने से पहले सिरिसेना ही राष्ट्रपति थे।
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