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प्रतीकात्मक तस्वीर

पेरिस में होने वाली बैस्टिल डे परेड के विशिष्ट अतिथि होंगे पीएम मोदी 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 14 जुलाई को फ्रांस की राजधानी पेरिस में होने वाली बैस्टिल डे परेड के विशिष्ट अतिथि होंगे। यह फ्रांस का राष्ट्रीय दिवस है। जिसका इंतजार फ्रांसीसी नागरिकों को वर्ष भर रहता है। जानकारी के मुताबिक इस परेड में फ्रांस की रिपब्लिकन गार्ड के 200 घोड़े, 71 प्लेन, 25 हेलीकॉप्टर, 221 वाहन और 4300 सैनिक हिस्सा लेंगे। 
इस परेड में भारतीय सशस्त्र बलों की त्रि-सेवा टुकड़ी भी भाग लेगी। इस बैस्टिल दिवस समारोह में भारतीय सेना का प्रतिनिधित्व पंजाब रेजिमेंट करेगी। इसमें  269 सदस्य शामिल होंगे। दल में सेना के 77 मार्चिंग कर्मी और बैंड के 38 जवान शामिल हैं। पंजाब रेजीमेंट दोनों विश्वयुद्धों में हिस्सा ले चुकी है। इसलिए इस वर्ष होने वाली बैस्टिल डे परेड पहले और दूसरे विश्‍व युद्ध में भारतीय सैनिकों के शौर्य गाथा की प्रतीक भी होगी। बैस्टिल डे परेड के दौरान भारतीय सैन्य बल पेरिस में फ्रांसीसी जवानों के साथ मार्च करेगे। इस परेड में भारतीय सेना की टुकड़ी का नेतृत्व कैप्टन अमन जगताप, नौसेना की टुकड़ी का नेतृत्व कमांडर व्रत बघेल और वायु सेना की टुकड़ी का नेतृत्व स्क्वाड्रन लीडर सिंधु रेड्डी करेंगे।  

जाने क्यों मनाया जाता है बैस्टिल दिवस 

फ्रांस की राजधानी पेरिस में 1880 से हर वर्ष 14 जुलाई को बैस्टिल दिवस समारोह का आयोजन किया जाता है। इसे फ्रांस के राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह समारोह दुनिया की सबसे पुरानी सैन्य परेडों में से एक माना जाता है। बैस्टिल दिवस समारोह का फ्रांसीसी क्रांति और बैस्टिल जेल से गहरा संबंध रहा है। बैस्टिल दिवस फ्रांस की एकता का भी प्रतीक है। 

इतिहास के मुताबिक फ्रांस में लुई सोलहवें के शासनकाल के दौरान जबरदस्त आर्थिक संकट आ गया था। इससे निबटने के लिए 5 मई, 1789 को देश के स्टेट जनरल ने एक बैठक बुलाई थी। इस बैठक में आम जनता को शामिल नहीं किया गया तो वह काफी नाराज हो गई। फ्रांस की जनता ने राजा के खिलाफ विद्रोह कर दिया। कुछ विद्रोही नेताओं को पकड़ कर बैस्टिल जेल में रखा गया था।

बैस्टिल पेरिस में मध्य युग का एक किला था जिसका इस्तेमाल पेरिस शहर के पूर्वी दरवाजे की रखवाली में होता था। बाद के दिनों में इसे जेल के रूप में बदल दिया गया था।  17वीं और 18वीं सदी के दौरान राजा के आदेश पर महत्वपूर्ण लोगों को इस जेल में रखा जाता था। 
फ्रांसिसी क्रांति के दौरान यह जेल कठोर शासन का प्रतीक बन चुकी थी। इसमें बंद कैदियों को अपनी सजा के खिलाफ कहीं भी अपील करने का अधिकार नहीं था। 
फ्रांस में जब क्रांति की आग भड़की तो क्रांतिकारियों की गुस्साई भीड़ ने 14 जुलाई, 1789 को इस जेल पर धावा बोल दिया। भीड़ ने बैस्टिल जेल में कैद सात कैदियों को छुड़ा लिया। ये उस समय की बड़ी घटना मानी गई और इसे काफी हद तक फ्रांसीसी क्रांति के शुरू होने का संकेत समझा जाता है। यह घटना फ्रांस की क्रांति में घटित काफी महत्वपूर्ण घटना मानी जाती है। इसे फ्रांस में राजशाही के अंत के तौर पर भी देखा जाता है। 

फ्रांस की जनता के सम्मान में होता है बैस्टिल डे

क्रांति के बाद फ्रांस की जनता के सम्मान में हर वर्ष 14 जुलाई को राष्ट्रीय दिवस के रूप में'बैस्टिल डे' मनाया जाता है। यह दिन बैस्टिल जेल और राजशाही के पतन का प्रतीक बन गया है। इस अवसर पर हर वर्ष आतिशबाजी और पैरेड का आयोजन होता है। जिसमें बड़ी संख्या में आम लोग शामिल होते हैं। इस दिन फ्रांस में सामूहिक अवकाश होता है।  

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क़मर वहीद नक़वी
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