अमेरिका द्वारा भारतीय नागरिक निखिल गुप्ता पर खलिस्तानी आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश रचने के आरोप लगाने के बाद अब पहली बार पीएम मोदी की प्रतिक्रिया आई है।
उन्होंने कहा है कि वह इस मामले में किसी भी सबूत पर गौर करेंगे। उन्होंने कहा कि कुछ घटनाएं भारत-अमेरिका दोस्ती को पटरी से नहीं उतार सकती हैं।
ब्रिटेन के अखबार फाइनेंशियल टाइम्स को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा है कि अगर हमारे किसी भी नागरिक ने कुछ भी अच्छा या बुरा किया है तो हम उस पर विचार करने को तैयार हैं। हमारी प्रतिबद्धता कानून के शासन के प्रति है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस इंटरव्यू में कहा है कि अगर कोई हमें कुछ जानकारी देता है तो हम निश्चित तौर पर उस जानकारी पर गौर करने के लिए तैयार हैं।
अतिवादी तत्व अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर भारत को धमकाने में जुटे हुए हैं। वे लोगों को हिंस के लिए उकसा रहे हैं।
पीएम मोदी का यह इंटरव्यू ऐसे समय में आया है जब पिछले दिनों ही अमेरिका ने 52 वर्षीय निखिल गुप्ता पर सिख आतंकी पन्नू की हत्या की साजिश रचने का आरोप लगाया है।
अमेरिकी एजेंट्स ने उसे चेक गणराज्य की राजधानी प्राग में गिरफ्तार किया था। भारतीय नागरिक निखिल गुप्ता पर पन्नू की हत्या की साजिश रचने का आरोप है।
वहीं पन्नू को भारत सरकार ने 2020 में आतंकी घोषित किया था। वह आतंकवादी समूह सिख फॉर जस्टिस का नेतृत्व करता है। भारत वर्षों से आरोप लगाता रहा है कि अमेरिका और कनाडा सहित पश्चिमी देश सिख खलिस्तानी आतंकवाद को गंभीरता से नहीं लेते हैं। पश्चिमी देश भारत की चिंताओं को नजरअंदाज करते हैं।
उन्होंने इस इंटरव्यू से यह भी स्पष्ट करने की कोशिश की कि इस घटना का भारत-अमेरिका संबंधों पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा। कुछ घटनाओं को राजनयिक संबंधों से जोड़ना उचित लगता है।
पीएम मोदी ने कहा कि भारत विदेश स्थित कुछ चरमपंथी समूहों की गतिविधियों को लेकर बहुत चिंतित है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की आड़ में ये तत्व डराने-धमकाने और हिंसा भड़काने में लगे हैं।
निखिल गुप्ता के परिजनों ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की है याचिका
खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश रचने के आरोप में यूरोपीय देश चेक गणराज्य के प्राग शहर की जेल में बंद निखिल गुप्ता के परिजनों ने पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है। इसमें उन्होंने भारत सरकार से अमेरिका की तरह प्रत्यर्पण कार्यवाही में हस्तक्षेप करने की मांग की है।भारतीय नागरिक निखिल गुप्ता को अमेरिकी एजेंटों ने पिछले दिनों प्राग में गिरफ्तार किया था और उसे स्थानीय पुलिस की हिरासत में रखा गया है। उसे अगले कुछ दिनों में अमेरिका भेजा जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में उसके परिजनों ने कहा है कि निखिल गुप्ता को प्राग की जेल में गैरकानूनी तौर पर बंदी बना कर रखा गया है।
जेल में उसके साथ बुरा व्यवहार किया जा रहा है। उसे जबरन सुअर और गाय का मांस खाने को दिया गया है जो कि उसकी हिंदू आस्था और रीति रिवाजों के विरुद्ध है। निखिल गुप्ता शाकाहारी है लेकिन उसे जेल में शाकाहारी खाना नहीं दिया जा रहा है।
निखिल गुप्ता को प्राग के अधिकारी किसी को फोन भी नहीं करने दे रहे थे। बाद में प्राग हाईकोर्ट के हस्तक्षेप के बाद ही उसे परिवार से बातचीत की इजाजत दी गई थी। मीडिया में आई खबरों के मुताबिक निखिल को गिरफ्तारी के 20 दिन बाद पहली बार 19 जुलाई को भारतीय अधिकारियों से संपर्क करने की अनुमति दी गई।
सुप्रीम कोर्ट में निखिल गुप्ता के परिजन ने दावा किया है कि प्राग की जेल में बंद निखिल के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन किया जा रहा है। साथ ही उसकी और उसके परिवार की जान को भी खतरा है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को प्राग की अदालत के समक्ष उठाने को कहा है। अब इस मामले की अगली सुनवाई 4 जनवरी को होगी। सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले सरकार के पास याचिका की कॉपी फाइल करने को ऑर्डर दिया है।
फिल्मी स्टाईल में अमेरिकी एजेंट्स ने किया था गिरफ्तार
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक निखिल गुप्ता को अमेरिकी एजेंट्स ने प्राग से फिल्मी स्टाईल में गिरफ्तार किया था। अब अमेरिका प्राग की जेल में बंद निखिल को अपने देश में लाने की कोशिश कर रहा है। ऐसे में उसके परिजनों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर मांग की है कि वह इस मामले में भारत सरकार को हस्तक्षेप करने का आदेश दे।
याचिका में बताया गया है कि उसे प्राग के वैक्लेव हेवल एयरपोर्ट के इमिग्रेशन सेंटर से निकलने के बाद गिरफ्तार कर लिया गया था। यह गिरफ्तारी अंतरराष्ट्रीय कानूनों के खिलाफ है। निखिल को गिरफ्तार करने के बाद उसका फोन छीन लिया गया था और उसे 3 घंटे तक कार में बैठाया कर पूरे शहर में अमेरिकी एजेंट्स घुमाते रहे।
इस दौरान उससे पूछताछ की गई। इसके बाद निखिल गुप्ता को अमेरिकी अधिकारियों ने स्थानीय पुलिस के हवाले कर दिया। बाद में पुलिस ने उसका हेल्थ चेकअप किया और बायोमेट्रिक डाटा लिया। अपनी याचिका में निखिल के परिजनों ने कहा है कि उसकी गिरफ्तारी के बारे में चेक रिपब्लिक में मौजूद भारतीय दूतावास को भी जानकारी नहीं दी गई थी।
अपनी राय बतायें