पेगासस सॉफ़्टवेअर से जासूसी के मामले पर भारत समेत पूरी दुनिया में हड़कंप मचा हुआ है, लेकिन इसका इस्तेमाल कम से कम 2017 में शुरू हो चुका था।
2017 से ही सक्रिय है पेगासस, पत्रकार खशोगी हत्याकांड की जाँच से खुली पोल
- दुनिया
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- 21 Jul, 2021
पेगासस सॉफ़्टवेअर से जासूसी के मामले पर भारत समेत पूरी दुनिया में हड़कंप मचा हुआ है, लेकिन इसका इस्तेमाल कम से कम 2017 में शुरू हो चुका था।

यह इससे पता चलता है कि अमेरिका में निर्वासित ज़िन्दगी बिता रहे सऊदी अरब के बाग़ी पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या के पहले उन पर निगरानी रखने में इसका इस्तेमाल हुआ था, यह पक्के तौर पर कहा जा सकता है।
जमाल खशोगी की हत्या तुर्की के इंस्ताबुल स्थित सऊदी वाणिज्य दूतावास में 2 अक्टूबर 2018 को कर दी गई थी।
लेकिन उसके कम से कम साल भर पहले यानी नवंबर 2017 से ही उन पर नज़र रखी जा रही थी। उनकी पत्नी हनान एलातर के फ़ोन में पेगासस सॉफ़्टवेअर लगाया जा चुका था और पति-पत्नी के बीच होने वाली हर बातचीत को सुना जा रहा था।