पेगासस सॉफ़्टवेअर से जासूसी के मामले पर भारत समेत पूरी दुनिया में हड़कंप मचा हुआ है, लेकिन इसका इस्तेमाल कम से कम 2017 में शुरू हो चुका था।
यह इससे पता चलता है कि अमेरिका में निर्वासित ज़िन्दगी बिता रहे सऊदी अरब के बाग़ी पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या के पहले उन पर निगरानी रखने में इसका इस्तेमाल हुआ था, यह पक्के तौर पर कहा जा सकता है।
जमाल खशोगी की हत्या तुर्की के इंस्ताबुल स्थित सऊदी वाणिज्य दूतावास में 2 अक्टूबर 2018 को कर दी गई थी।
लेकिन उसके कम से कम साल भर पहले यानी नवंबर 2017 से ही उन पर नज़र रखी जा रही थी। उनकी पत्नी हनान एलातर के फ़ोन में पेगासस सॉफ़्टवेअर लगाया जा चुका था और पति-पत्नी के बीच होने वाली हर बातचीत को सुना जा रहा था।
खशोगी की पत्नी, मंगेतर के फ़ोन में पेगासस
कुछ दिनों बाद जब खशोगी तुर्की की नागरिक हातिच चंगेज के संपर्क में आए और उनसे प्रेम कर बैठे तो इस महिला के फ़ोन में भी पेगासस सॉफ़्टवेअर इंस्टॉल कर दिया गया था।
जमाल खशोगी जब 2 अक्टूबर 2018 को एक सर्टिफिकेट लेने के लिए सऊदी अरब के वाणिज्य दूतावास गए तो उनकी मंगेतर हातिच चंगेज दूतावास के दरवाजे के पास ही उनका इंतजार करने लगी, उस समय भी उनके फ़ोन में पेगासस लगा हुआ था।
खशोगी कभी लौट कर नहीं आए, लेकिन पेगासस सॉफ़्टवेअर सक्रिय रहा और उनकी मंगेतर की गतिविधियों पर नज़र बनाए रखा।
फ्रांसीसी ग़ैर-सरकारी संगठन 'फोरबिडेन स्टोरीज' को टेलीफ़ोन नंबरों की जो सूची मिली, उसमें खशोगी की पत्नी हनान एलातर और मंगेतर हातिच चंगेज, दोनों के नंबर शामिल है।
तुर्की के अफ़सर भी निशाने पर
फोरबिडेन स्टोरीज के साथ काम करने वाले 'द वायर' का दावा है कि इन दोनों महिलाओं के मोबाइल फ़ोनों की फोरेंसिक जाँच हुई और उसमें इसकी पुष्टि हुई की इनमें पेगासस सॉफ्टवेअर इंस्टॉल किया गया था।
इसके अलावा खशोगी के एक सहयोगी और उनकी हत्या की जाँच करने वाले तुर्की सरकार के दो अफ़सरों के फोनों में भी पेगासस सॉफ्टवेअर लगाया गया था और फोरेंसिक जाँच से इसकी भी पुष्टि हो चुकी है।
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एनएसओ का इनकार!
पेगासस बनाने वाली इज़रायली कंपनी एनएसओ ने इससे इनकार किया है। उसने एक बयान में कहा है, "जमाल खशोगी की नृशंस हत्या में हमारी प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल किसी भी रूप में नहीं हुआ था।इसमें किसी की बात सुनने, उस पर निगरानी रखने, ट्रैक करने और दूसरी जानकारियाँ एकत्रित करने से जुड़ी गतिविधियाँ शामिल हैं।"
बता दें कि पेगासस के काम करने का तरीका यह है कि यह एक लिंक भेजता है जो फ़ोन में पहुँचते ही उसे संक्रमित कर देता है और उसके सर्वर पर क़ब्ज़ा कर लेता है। इसके बाद उसके टेक्स्ट, फ़ोन, मैसेज, ई-मेल, वॉयस, चैट, फोटो, कैलेंडर, पुराने रिकॉर्ड, सबको वह लेता रहता है और संबंधित जगह भेजता रहता है। उसके कैमरे और माइक पर भी पेगास का नियंत्रण हो जाता है। 'द वायर' के अनुसार, फोरेंसिक जाँच से यह साबित हो चुका है कि
खशोगी की पत्नी हनान एलातर के फ़ोन में पेगासस कम से कम सितंबर 2017 से तो लगा हुआ था ही, क्योंकि उस समय का टेक्स्ट मैसेज पाया गया है। यह दरअसल पेगासस का लिंक था, लेकिन ऐसा दिखाया गया था कि एलातर की बहन का भेजा हुआ टेक्स्ट मैसेज है।
तुर्की के राष्ट्रपति के निकट सहयोगी भी निशाने पर
कनाडा स्थित टोरंटो विश्वविद्यालय के सिटीजन लैब के फोरेंसिक टेस्ट से पता चलता है कि जमाल खशोगी के निकट के सहयोगी उमर अब्दुल अज़ीज़ के फ़ोन में जून 2018 में ही पेगासस सॉफ़्टवेअर लगा दिया गया था।
खशोगी जब इंस्ताबुल में सऊदी वाणिज्य दूतावास के अंदर सर्टिफिकेट लेने गए और बाहर उनकी मंगेतर हातिच चंगेज खड़ी रही तो उनसे कहा गया था कि यदि खशोगी के आने में बहुत देर हो तो वे यासिन अकतय से बात करें। यासिन अकतय तुर्की के राष्ट्रपति रिचप तैयप अर्दोआन के प्रमुख सहयोगी थे।
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यासिन अकतय ने बाद में कहा कि जिस दिन खशोगी की हत्या हुई, उसी दिन ख़ुफ़िया विभाग ने उन्हें कहा कि उनका फोन संक्रमित हो गया है और वे दूसरा फोन ले लें।
जाँच अधिकारी निशाने पर
फोरेंसिक जाँच से यह भी पता चला है कि खशोगी हत्याकांड की जाँच कर रहे प्रमुख अधिकारी इरफ़ान फ़िदान का फोन भी 2019 में पेगासस की चपेट में आ गया।
'द वायर' कहना है कि जमाल खशोगी मामले में पेगासस सॉफ़्टवेअर का ग्राहक सऊदी प्रशासन था। खशोगी हत्याकांड की जाँच के सिलसिले में ही पेगासस के बारे में अधिकारियों को पता चला। उसके बाद उसके बारे में दूसरी जानकारियाँ सामने आईं।
साल 2020 में यह स्थापित हो गया कि खशोगी की पत्नी, मंगेतर, उनके एक सहयोगी और तुर्की के अधिकारियों के फ़ोन में पेगासस सॉफ़्टवेअर लगे हुए थे। नवंबर 2017 से ही पेगासस इस मामले में सक्रिय था जब वह खशोगी की पत्नी के फ़ोन में लगाया गया था। ये बातें फोरेंसिक जाँच से साबित हो चुकी हैं।
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