सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने रियाद में अरब लीग और इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) की आपातकालीन बैठक की अध्यक्षता की लेकिन कुल मिलाकर यह बैठक औपचारिक ही रही। ईरान ने अरब और मुस्लिम देशों से आग्रह किया कि इजराइल का आर्थिक बहिष्कार किया जाए और फिलिस्तीन के अस्तित्व को समुद्र से लेकर आसमान तक कायम रखने पर काम किया जाए, लेकिन इस प्रस्ताव को मंजूरी देने में मुस्लिम देश असहमत दिखे। ईरान के राष्ट्रपति इब्राहीम रईसी खुद इस बैठक में शामिल हुए। हालांकि अरब और मुस्लिम नेताओं ने गजा में इजराइली सेना की "बर्बर" कार्रवाई की निंदा की। कुल मिलाकर मुस्लिम और अरब देशों की बैठक नतीजे के नाम पर सिफर (शून्य) रही।
सऊदी की राजधानी में शनिवार को अरब लीग और इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) के एक संयुक्त शिखर सम्मेलन के नतीजे ने युद्ध का जवाब देने के तरीके पर क्षेत्रीय विभाजन को साफ तौर पर उजागर कर दिया। हालांकि यह डर बढ़ गया है कि इसका असर अन्य देशों पर भी पड़ सकता है और वे फिलिस्तीनी मुद्दे के समर्थन से पीछे हट सकते हैं।
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मुस्लिम देशों ने जो फाइनल घोषणा की, उसमें इजराइल के इस दावे को खारिज कर दिया गया कि वह "आत्मरक्षा" में युद्ध लड़ रहा है और मांग की कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद इजराइल की "आक्रामकता" को रोकने के लिए "एक निर्णायक और बाध्यकारी प्रस्ताव" अपनाए।
इसने इज़राइल को हथियारों की बिक्री को खत्म करने का भी आह्वान किया। साथ ही संघर्ष के किसी भी ऐसे राजनीतिक समाधान को खारिज कर दिया जो गजा को कब्जे वाले वेस्ट बैंक से अलग रखेगा। यानी इजराइल अगर गजा और वेस्ट बैंक को अलग करता है तो इसे नामंजूर कर दिया जाएगा। बता दें कि वेस्ट बैंक में तमाम इजराइली बस्तियां और ठिकाने हैं। वो वेस्ट बैंक मिलाकर ग्रेटर इजराइल का सपना देख रहा है।
इस बैठक में सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान, जो युद्ध से पहले इज़राइल के साथ औपचारिक राजनयिक संबंध स्थापित करने पर विचार कर रहे थे, ने शिखर सम्मेलन में कहा कि वह "फिलिस्तीनी लोगों के खिलाफ किए गए अपराधों के लिए कब्जे वाले इजराइली अधिकारियों को जिम्मेदार मानते हैं।"
सऊदी अरब की अपनी पहली यात्रा पर आए ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी ने इस बैठक में कहा कि इस्लामिक देशों को गजा में खूनखराबा करने के लिए इजराइली सेना को "आतंकवादी संगठन" घोषित करना चाहिए। ईरानी राष्ट्रपति रईसी ने इजराइल के खिलाफ कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव दिया। उन्होंने कहा इजराइल को जब तक उसके किए सजा आर्थिक प्रतिबंधों के जरिए नहीं मिलेगी, तब तक वो सुधरने वाला नहीं है। उसे सबक सिखाना जरूरी है।
तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयिब इर्दोग़ान ने कहा, "यह शर्म की बात है कि पश्चिमी देश, जो हमेशा मानवाधिकारों और स्वतंत्रता के बारे में बात करते हैं, फिलिस्तीन में चल रहे नरसंहारों पर चुप हैं।"
गजा से इस सम्मेलन के लिए जारी एक बयान में, हमास ने शिखर सम्मेलन में भाग लेने वालों से इजराइली राजदूतों को निष्कासित करने, "इजरायली युद्ध अपराधियों" पर मुकदमा चलाने के लिए एक कानूनी आयोग बनाने और क्षेत्र के लिए एक पुनर्निर्माण कोष बनाने का आह्वान किया।
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बहरहाल, तीन देशों - सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और बहरीन ने इजराइल के खिलाफ आर्थिक प्रतिबंध लगाने, तेल सप्लाई रोकने वाले प्रस्ताव को खारिज कर दिया। इन्हीं तीन देशों ने 2020 से अपने संबंध इजराइल से सामान्य कर लिए हैं। अब यही देश इजराइल विरोधी कड़े प्रस्ताव में भी बाधा बन रहे हैं। हालांकि ज्यादातर मुस्लिम देश ईरान के प्रस्ताव के समर्थन में हैं।
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