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इज़राइली बंधकों के परिवारों ने नेतन्याहू पर आरोप लगाया कि उन्होंने अपने नागरिकों की जान को खतरे में डालकर राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश की है।
The Trump Regime is attacking on behalf of Israel.
— Scott A McMillan (@scott4670) March 18, 2025
Israelis broke the ceasefire agreement. Now they attack Gaza.
One extremely impoverished country - Yemen - stands up against Israel. pic.twitter.com/HSM7HFIK8Y
Israel has restarted its genocide on Palestinians in Gaza with the backing of US President Donald Trump who was consulted before the attacks began, as Al Jazeera’s Heidi Zhou-Castro explains. pic.twitter.com/AC7a2156Sl
— Al Jazeera English (@AJEnglish) March 18, 2025
हमास ने इस हमले को “मानवीय संधि का खुला उल्लंघन” करार दिया और कहा कि इज़राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने बंधकों की रिहाई के लिए चल रही बातचीत को तोड़ने का फैसला किया है। हमास के एक अधिकारी ताहेर नुनु ने कहा, “अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने अब यह नैतिक परीक्षा है कि वह इज़राइल के अपराधों को रोके या ग़ज़ा में नरसंहार को चुपचाप देखता रहे।”
A grieving child bids farewell to his father, who, along with other family members, was killed in a deadly Israeli attack on the southern Gaza Strip. pic.twitter.com/IanzTfFmpk
— Quds News Network (@QudsNen) March 18, 2025
हालांकि इज़राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने हमले का बचाव करते हुए कहा कि यह हमास के खिलाफ “मजबूत कार्रवाई” का हिस्सा है, जो बंधकों को रिहा करने और संघर्ष विराम को आगे बढ़ाने में विफल रहा।
इज़राइल पर आरोप
- नागरिकों पर हमले: इज़राइल ने बार-बार नागरिक बस्तियों, स्कूलों, अस्पतालों और शरणार्थी शिविरों को निशाना बनाया है। इस हमले में भी अल-अहली अस्पताल के पास मारे गए लोगों के शवों की तस्वीरें सामने आई हैं।
- मानवीय सहायता पर रोक: ग़ज़ा में भोजन, पानी, दवाइयों और ईंधन की आपूर्ति पर इज़राइल ने सख्त नाकाबंदी लगाई, जिसके कारण वहां अकाल और बीमारियों का खतरा बढ़ गया है।
जबरन विस्थापन: इज़राइल ने उत्तरी गाजा के 11 लाख लोगों को दक्षिण की ओर जाने का आदेश दिया था, लेकिन दक्षिण में भी हमले जारी रखे, जिससे लोगों के पास कोई सुरक्षित ठिकाना नहीं बचा।
हथियारों का अवैध इस्तेमाल: अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने इजरायल पर फॉस्फोरस बम जैसे प्रतिबंधित हथियारों के इस्तेमाल का आरोप लगाया है, जो नागरिकों को गंभीर नुकसान पहुंचाते हैं।
पत्रकारों और राहतकर्मियों की हत्या: इस जंग में 130 से अधिक फिलिस्तीनी पत्रकार मारे गए हैं, जिनमें हालिया हमले में उमर अल-देरावी भी शामिल हैं। इसके अलावा, चिकित्सा कर्मियों और राहतकर्मियों को भी निशाना बनाया गया।
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