फिल्मों का काम मनोरंजन करना होता है। इसका इस्तेमाल अगर सामाजिक व्यवस्था को छिन्न-भिन्न करने के लिए होने लग जाए तो? लक्ष्मण उटेकर ने फ़िल्म छावा बनाई तो मराठी गौरव की स्थापना के लिए थी लेकिन इस फिल्म की वजह से जो हो रहा है, वह बहुत निराश करने वाला है। छावा फिल्म से उठी औरंगजेब विरोधी लहर इतनी तेज़ हो गई कि सत्रह मार्च की शाम नागपुर में हिंसा भड़क गई।