फिल्मों का काम मनोरंजन करना होता है। इसका इस्तेमाल अगर सामाजिक व्यवस्था को छिन्न-भिन्न करने के लिए होने लग जाए तो? लक्ष्मण उटेकर ने फ़िल्म छावा बनाई तो मराठी गौरव की स्थापना के लिए थी लेकिन इस फिल्म की वजह से जो हो रहा है, वह बहुत निराश करने वाला है। छावा फिल्म से उठी औरंगजेब विरोधी लहर इतनी तेज़ हो गई कि सत्रह मार्च की शाम नागपुर में हिंसा भड़क गई।
नागपुर हिंसा: छावा फिल्म, नेताओं के बयान और नफरत की आंधी, कैसे भड़की आग?
- विश्लेषण
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- 18 Mar, 2025
नागपुर में हिंसा क्यों भड़की? छावा फिल्म, नेताओं के बयान और हेट स्पीच ने कैसे माहौल गरमाया? जानिए हिंसा की क्रोनोलॉजी, इसके पीछे की सियासत और प्रशासन की प्रतिक्रिया।

बताया जा रहा है कि इस हिंसा में 34 पुलिस जवानों समेत 39 लोग घायल हो चुके हैं। 45 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका। आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है। इन सब में सबसे अधिक जानना ज़रूरी यह है कि भूल कहाँ हुई? किन वजहों से हिंसा भड़की और इस हिंसा के पहले के घटनाक्रम क्या था।
छावा फ़िल्म से शुरू हुआ फसाद
अगर सही से परखा जाए तो नागपुर में भड़के सांप्रदायिक तनाव की जड़ें ऐतिहासिक व्यक्तित्वों के चित्रण और उसके बाद की राजनीतिक प्रतिक्रियाओं में निहित हैं। छत्रपति संभाजी महाराज के जीवन पर आधारित मराठी फ़िल्म ‘छावा’ ने मुगल सम्राट औरंगज़ेब की विरासत पर फिर से बहस छेड़ दी। फ़िल्म की कहानी में औरंगज़ेब द्वारा मराठाओं पर किए गए अत्याचारों को प्रमुखता से दिखाया गया। औरंगज़ेब की प्रशासकीय और धार्मिक समझ को लेकर एक बहस छिड़ गई। कुछ लोग छावा फ़िल्म के साथ थे तो कई लोगों ने इसे इतिहास के साथ खिलवाड़ बताया।