अफ़ग़ानिस्तान की पंजशीर घाटी में सत्तारूढ़ तालिबान और उनके विरोधी नेशनल रेजिस्टेन्स फ़ोर्स ऑफ़ अफ़ग़ानिस्तान के बीच ज़बरदस्त लड़ाई चल रही है। रेजिस्टेन्स फ़ोर्स ने 600 से ज़्यादा तालिबान लड़ाकों के मारे जाने का दावा किया है।
रेजिस्टेन्स फ़ोर्स के प्रवक्ता फ़हीम दस्ती ने ट्वीट कर कहा है, "सुबह से तालिबान के 600 लड़ाके मारे गए हैं। इसके अलावा 1,000 से ज़्यादा पकड़े जा चुके हैं या उन्होंने आत्मसमर्पण कर दिया है।"
उन्होंने यह भी कहा है कि तालिबान की सप्लाई लाइन काट दी गई है।
Panjshir 📍10 minutes ago:
— Northern Alliance 🇭🇺 (@NA2NRF) September 4, 2021
"More than 700 of them was killed, 600 captured & prisoned, the rest are trying to escape, we are in Frontline, everything was planned. We control the whole province. "#AhmadMassoud #Panjshir pic.twitter.com/gsQr8tSGlH
पंजशीर का दावा
पूरे अफ़ग़ानिस्तान पर तालिबान का क़ब्ज़ा हो गया है, पर पंजशीर अभी भी उनके नियंत्रण से बाहर है। रेजिस्टेंस फोर्स के नेता अहमद मसूद और अमरुल्लाह सालेह ने एलान किया था कि पंजशीर पर किसी का कब्जा नहीं होने दिया जाएगा।
पंजशीर से तालिबान को चुनौती देते रहने वाले अहमद मसूद, अहमद शाह मसूद के बेटे हैं। अहमद शाह मसूद तालिबान के ख़िलाफ़ बनी मिलिशिया के नेता थे। वह 1980 के दशक में अफ़ग़ानिस्तान के सोवियत विरोधी प्रतिरोधी समूह के प्रमुख नेताओं में से एक थे। अहमद शाह मसूद ने ही तालिबान के ख़िलाफ़ नॉर्दन एलायंस बनाया था। 11 सितंबर 2001 के हमले से दो दिन पहले ही अल क़ायदा ने अहमद शाह मसूद की हत्या कर दी थी। इसके बाद अहमद मसूद ने मिलिशिया की कमान संभाली।
अहमद मसूद के साथ ही अमरुल्लाह सालेह भी हैं जो तालिबान को चुनौती दे रहे हैं। पूर्व उप राष्ट्रपति सालेह ने पहले एलान किया था कि पंजशीर पर किसी का कब्जा नहीं होने दिया जाएगा। इस प्रांत में ताज़िक समुदाय के लोग बड़ी संख्या में रहते हैं। सालेह भी इसी समुदाय से आते हैं।
ख़ुद के पंजशीर छोड़कर भागने की ख़बर को अमरुल्लाह सालेह ने झूठा क़रार दिया था और उन्होंने कहा था कि वह पंजशीर में ही हैं और तालिबान को चुनौती दे रहे हैं।
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