मशहूर गीतकार, पटकथा लेखक व उर्दू के साहित्यकार जावेद अख़्तर एक बार फिर कट्टरपंथी हिन्दुत्ववादियों के निशाने पर हैं।
महाराष्ट्र से बीजेपी विधायक राम कदम ने एलान किया है कि जावेद जब तक हिन्दू राष्ट्र की माँग करने वालों की तुलना तालिबान से करने वाले बयान पर माफ़ी नहीं माँगते, उनसे जुड़ी फ़िल्मों को रिलीज़ नहीं होने दिया जाएगा।
राम कदम ने कहा है, "जावेद अख़्तर का बयान न सिर्फ शर्मनाक है, बल्कि संघ और विश्व हिन्दू परिषद के करोड़ों समर्थकों और उस विचारधारा को मानने वाले करोड़ों लोगों के लिए पीड़ादायक व अपमानजनक है।"
उन्होंने कहा कि जावेद अख़्तर को यह बयान देने के पहले सोचना चाहिए था कि इसी विचारधारा को मानने वाले सत्ता में हैं। यदि वे ऐसे होते तो जावेद इस तरह की बात नहीं कह पाते।
#संघ तथा #विश्वहिंदूपरिषद के करोडों कार्यकर्ताओ की, जब तक हाथ जोड़कर #जावेदअख्तर माफी नही मांगते. तब तक उनकी तथा उनके परिवार की कोई भी #फिल्म इस #माभारती के भूमि पर नहीं चलेगी. pic.twitter.com/ahWgVQWuvH
— Ram Kadam - राम कदम (@ramkadam) September 4, 2021
क्या कहा जावेद अख़्तर ने?
जावेद अख़्तर ने 'एनडीटीवी' से बात करते हुए मॉब लिन्चिंग पर चिंता जताई थी। उन्होंने कहा था, "यह पूरी तरह से तालिबान बनने का एक तरह से फुल ड्रेस रिहर्सल है। यह तालिबानी हरकतों को अपना रहे हैं। ये एक ही लोग हैं, बस नाम का फर्क है। उनके लक्ष्य और उनके बीच में भारत का संविधान आड़े आ रहा है, लेकिन अगर मौका मिले तो ये इस बाउंड्री को पार कर जाएँगे।"
उन्होंने तालिबान की तुलना हिन्दुत्ववादियों से करते हुए कहा था,
“
मुझे लगता है कि जो लोग आरएसएस, वीएचपी, बजरंग दल जैसे संगठनों का समर्थन करते हैं, उन्हें आत्मचिंतन की ज़रूरत है।
जावेद अख़्तर, गीतकार
नसीरुद्दीन शाह भी थे निशाने पर
याद दिला दें कि इसके पहले हिन्दुत्ववादियों की आलोचना करने पर नसीरुद्दीन शाह भी उनके निशाने पर आ गए थे।
नसीरुद्दीन शाह ने एक विडियो संदेश में कहा था कि देश में ज़हर फैल चुका है, एक गाय की मौत को ज़्यादा अहमियत दी जाती है एक पुलिस ऑफ़िसर की मौत के बनिस्पत। उन्होंने आगे कहा था कि इससे उन्हें डर नहीं लगता, बल्कि ग़ुस्सा आता है।
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क्या कहा था नसीरुद्दीन शाह ने?
नसीरुद्दीन शाह ने कहा था कि "ऐसे माहौल में मुझे अपने औलादों के बारे में सोचकर फ़िक्र होती है, क्योंकि उनका कोई मज़हब ही नहीं है। हमने अपने बच्चों को मज़हबी तालीम बिल्कुल ही नहीं दी। मेरा मानना है कि अच्छाई और बुराई का मज़हब से कोई लेना-देना नहीं है। हाँ इतना ज़रूर है कि कुरान की कुछ आयतें ज़रूर सिखाईं जिससे कि तलफ़्फुज़ सुधरता है। बिल्कुल वैसे ही जैसे रामायण पढ़ने से तलफ़्फुज़ सुधरता है।"
उन्होंने आगे कहा था कि "मुझे डर लगता है कि कल को मेरे बच्चे बाहर निकलेंगे तो भीड़ उन्हें घेरकर पूछ सकती है कि तुम कौन हो? हिंदू या मुसलमान? ऐसे में वह क्या जवाब देंगे। मैंने अपने बच्चों को किसी धर्म की तालीम नहीं दी।"
नसीरुद्दीन ने कहा था, मज़हब के नाम पर नफ़रत की दीवारें खड़ी की जा रही हैं।
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