इमैनुएल मैक्रों ने फ्रांस के राष्ट्रपति पद का चुनाव जीत लिया है। उन्होंने अपनी प्रतिद्वंद्वी मारीन ले पेन को हराया। मैक्रों को चुनाव में 58 फ़ीसदी वोट मिले हैं जबकि पेन को 42 फीसद।
मैक्रों की जीत पर उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन, कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो, यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष चार्ल्स मिशेल सहित दुनिया भर के नेताओं ने बधाई दी है।
बीते दो दशक में मैक्रों फ्रांस के पहले ऐसे नेता हैं, जो दूसरी बार राष्ट्रपति का चुनाव जीते हैं। 44 साल के मैक्रों को अपने दूसरे कार्यकाल में कई चुनौतियों का सामना करना होगा। फ्रांस में जून के महीने में संसदीय चुनाव भी होने हैं और मैक्रों को इसमें बहुमत हासिल करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाना होगा।
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जबकि हार मिलने के बाद पेन ने कहा कि वह राजनीति नहीं छोड़ेंगी और जून में होने वाले संसदीय चुनाव की तैयारियों में जुटी हैं। साल 2017 में भी मैक्रों और पेन के बीच राष्ट्रपति पद के चुनाव में लड़ाई हुई थी। लेकिन तब मैक्रों को 66 फीसद वोट मिले थे और इस बार उनकी जीत का अंतर घटा है। पेन की राष्ट्रपति चुनाव में यह लगातार तीसरी हार है।
मैक्रों के सामने चुनौतियां
फ्रांस को बीते 2 सालों में कोरोना महामारी के कारण काफी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा है। रूस-यूक्रेन के युद्ध के कारण वहां ईंधन की कीमतें भी काफी बढ़ गई हैं। इस वजह से मुल्क में आर्थिक संकट का मुद्दा चुनाव में भी छाया रहा। लोग महंगाई की मार झेल रहे हैं और मैक्रों को इन चुनौतियों का सामना करते हुए लोगों को राहत देनी होगी।
विवादों में रहे मैक्रों
पैगंबर मोहम्मद साहब के कार्टून को लेकर फ्रांस में साल 2020 में एक शिक्षक सैम पेटी की हत्या के बाद आए इमैनुएल मैक्रों के बयान को लेकर उनके खिलाफ दुनिया में कई देशों में मुसलमान सड़कों पर उतर आए थे। यह वह कार्टून था जिसके 2015 में प्रकाशित होने के बाद आतंकवादियों ने कार्टून पत्रिका शार्ली एब्दो के दफ्तर में घुसकर 11 लोगों की हत्या कर दी थी।
शिक्षक की हत्या के बाद मैक्रों ने अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार का खुलकर समर्थन किया था और शिक्षक की हत्या को आतंकवादी हमला करार दिया था। भारत और पाकिस्तान में भी मैक्रों के खिलाफ प्रदर्शन हुए थे। लेकिन भारत सरकार ने कहा था कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में वह फ्रांस के रुख का समर्थन करता है।
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पाकिस्तान में तो लंबे वक्त तक प्रदर्शनकारियों ने इस्लामाबाद को घेर लिया था और फ्रांस के दूतावास को बंद करने की मांग की थी। तब मशहूर शायर मुनव्वर राणा के एक बयान को लेकर भारत में काफी विवाद हुआ था।
भारत में कोलकाता, भोपाल, अलीगढ़, मुंबई व कई अन्य शहरों में जोरदार प्रदर्शन हुए थे और मैक्रों से मुसलमानों से माफी मांगने की मांग की गई थी। उस दौरान फ्रांस के उत्पादों का पूरी तरह बॉयकॉट करने की अपील भी मुसलमानों की ओर से की गई थी।
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