फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स यानी एफ़एटीएफ़ ने शुक्रवार को पाकिस्तान को अपनी 'ग्रे लिस्ट' से हटाने की घोषणा की है। एफ़एटीएफ़ एक आतंकी वित्तपोषण और मनी लॉन्ड्रिंग पर वैश्विक निगरानी करने वाली संस्था है।
एक बयान में एफ़एटीएफ़ ने पाकिस्तान की एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग कार्रवाई में सुधार और वित्तीय आतंकवाद का मुक़ाबला करने की प्रगति का स्वागत किया है। इसके साथ ही इसने कहा है कि पाकिस्तान ने तकनीक़ी खामियों को भी दूर किया है।
इसने बयान में कहा है, 'पाकिस्तान अब एफ़एटीएफ़ की बढ़ी हुई निगरानी प्रक्रिया के अधीन नहीं है। एफएटीएफ ने 20-21 अक्टूबर को पेरिस में हुई अपनी पूर्ण बैठक में यह फैसला लिया।
एफएटीएफ का यह फ़ैसला तब आया है जब अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने पिछले हफ़्ते ही पाकिस्तान को दुनिया के 'सबसे ख़तरनाक देशों में से एक' बताया है। उन्होंने ऐसा कहने के पीछे सबसे प्रमुख कारण बताया है कि पाकिस्तान के पास 'बिना किसी तालमेल के परमाणु हथियार' हैं। बाइडेन कैलिफोर्निया के लॉस एंजिल्स में एक डेमोक्रेटिक कांग्रेसनल कैंपेन कमेटी रिसेप्शन को संबोधित कर रहे थे।
क़रीब चार साल पहले एफएटीएफ ने पाकिस्तान को मनी लॉन्ड्रिंग के जोखिम की जांच करने में विफलता के लिए अपनी ग्रे सूची में डाल दिया था।
पाकिस्तान ने 2018 में एफएटीएफ द्वारा दी गई अधिकांश कार्रवाई को पूरा कर लिया था। हालाँकि, केवल कुछ आइटम जो अधूरे रह गए थे, उनमें जैश-ए-मोहम्मद प्रमुख मसूद अजहर, लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के संस्थापक हाफिज सईद और उनके भरोसेमंद सहयोगी और समूह के "ऑपरेशनल कमांडर", जकीउर रहमान लखवी सहित संयुक्त राष्ट्र द्वारा नामित आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई करने में विफलता शामिल थी।
2020 में तो यहाँ तक संभावना जताई जा रही थी कि कहीं पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट न कर दिया जाए। लेकिन तब पाकिस्तान ने 88 प्रतिबंधित आतंकी संगठनों और उनके आकाओं के ख़िलाफ़ कार्रवाई की थी। इसी के साथ पाकिस्तान ने पहली बार कबूल किया था कि आतंकी डॉन दाऊद इब्राहिम उसके देश में है।
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