सबसे सख़्त लॉकडाउन, शानदार टेस्टिंग, सख्ती से कोरोना नियमों की पालना और दुनिया में सबसे तेज़ी से टीकाकरण करने वाले चीन में अब डेल्टा वैरिएंट पहुँच गया है। इस बीच संक्रमण के मामले बढ़ने लगे हैं और इस वजह से अब वहाँ नये सिरे से चिंताएँ बढ़ने लगी हैं। बढ़े भी क्यों न! उस देश में जहाँ सबसे पहले कोरोना संक्रमण का मामला 2019 में ही आया था, जहाँ दुनिया की सबसे बड़ी आबादी है वहाँ अब तक सिर्फ़ 92 हज़ार संक्रमण के मामले आए हैं और वह सबसे ज़्यादा संक्रमण के मामले में 107वें नंबर पर है। ऐसा इसलिए कि कोरोना को नियंत्रित करने में वह काफ़ी हद तक कामयाब रहा। लेकिन दुनिया भर में अब डेल्टा वैरिएंट फैल रहा है और कई देशों में तीसरी लहर शुरू भी हो चुकी है। इसी बीच अब चीन में डेल्टा का मामला आया है।
विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना वायरस का डेल्टा वैरिएंट अब तक सबसे ज़्यादा तेज़ फैलने वाला और सबसे ज़्यादा घातक भी है। फ़ोर्ब्स की एक रिपोर्ट के अनुसार चीन के वुहान में सबसे पहले मिले कोरोना संक्रमण से 50 फ़ीसदी ज़्यादा तेज़ी से फैलने वाला अल्फा वैरिएंट था। यह वैरिएंट सबसे पहले इंग्लैंड में पाया गया था। इस अल्फा से भी 40-60 फ़ीसदी ज़्यादा तेज़ी से फैलने वाला डेल्टा वैरिएंट है। यह सबसे पहले भारत में मिला था और अब तक दुनिया के अधिकतर देशों में फैल चुका है।
यह डेल्टा वैरिएंट वही है जिसे भारत में कोरोना की दूसरी लहर में तबाही लाने के लिए ज़िम्मेदार माना गया। भारत में जब दूसरी लहर अपने शिखर पर थी तो हर रोज़ 4 लाख से भी ज़्यादा संक्रमण के मामले रिकॉर्ड किए जा रहे थे। देश में 6 मई को सबसे ज़्यादा 4 लाख 14 हज़ार केस आए थे। यह वह समय था जब देश में अस्तपाल बेड, दवाइयाँ और ऑक्सीजन जैसी सुविधाएँ भी कम पड़ गई थीं। ऑक्सीजन समय पर नहीं मिलने से बड़ी संख्या में लोगों की मौतें हुईं। अस्पतालों में तो लाइनें लगी ही थीं, श्मशानों में भी ऐसे ही हालात थे। इस बीच गंगा नदी में तैरते सैकड़ों शव मिलने की ख़बरें आईं और रेत में दफनाए गए शवों की तसवीरें भी आईं।
अब चीन में कोरोना के ये मामले उन क्षेत्रों से आ रहे हैं जो 'कोविड ज़ीरो' क्षेत्र हैं। हाल तक बाहर से आने वाले लोगों या उनके संपर्क में आए लोगों में कुछ मामले आ रहे थे, लेकिन अब स्थानीय स्तर पर संक्रमण फैलने लगा है। एक दिन पहले ही 28 जुलाई को देश में 86 मामले आए। उससे भी एक दिन पहले 71 मामले सामने आए थे।
संक्रमण के दर्जनों मामले तब आ रहे हैं जब शानदार टेस्टिंग की व्यवस्था है, क्वारंटीन के सख़्त नियम हैं और चीन में बड़े पैमाने पर टीकाकरण अभियान चलाया गया है।
ब्लूमबर्ग वैक्सीन ट्रैकर की रिपोर्ट के अनुसार चीन में 1 अरब 58 करोड़ से ज़्यादा लोगों को वैक्सीन लगाई जा चुकी है। टीकाकरण कितनी तेज़ी से हुआ है इसका अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि दुनिया भर में लगाए गए 3 अरब 90 करोड़ टीकों में से 1.58 अरब तो अकेले चीन में ही लगाए गए हैं। दुनिया के किसी भी देश में इसके आधे भी टीके नहीं लगाए जा सके हैं। भारत में तो 50 करोड़ टीके भी नहीं लगाए जा सके हैं।
वैसे, कोरोना का डेल्टा वैरिएंट पूरे टीके लिए हुए लोगों को भी संक्रमित कर रहा है, अब लगातार ऐसे मामले आ रहे हैं। दुनिया के 10 बड़े विशेषज्ञों ने भी इसकी पुष्टि की है। और अब इस वजह से दुनिया के सामने एक बड़ी चिंता भी है।
पीएचई यानी पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड ने पिछले हफ़्ते शुक्रवार को ही कहा था कि ब्रिटेन में डेल्टा वैरिएंट के साथ अस्पताल में भर्ती कुल 3,692 लोगों में से 58.3% लोगों का टीकाकरण नहीं हुआ था और 22.8% को पूरी तरह से टीका लगाया गया था। डेल्टा वैरिएंट से प्रभावित सिंगापुर में सरकारी अधिकारियों ने बताया था कि इसके कोरोना वायरस के तीन चौथाई मामले टीकाकरण वाले व्यक्तियों में हुए, हालाँकि कोई भी गंभीर रूप से बीमार नहीं था।
संयुक्त राज्य अमेरिका में नये संक्रमण के मामलों में डेल्टा वैरिएंट के क़रीब 83% मामले आ रहे हैं। अब तक जितने भी गंभीर मामले आए हैं उनमें ग़ैर-टीकाकरण वाले क़रीब 97% लोग हैं।
डेल्टा वैरिएंट से प्रभावित देश इंडोनेशिया के बारे में भी चेतावनी देने वाली रिपोर्टें आ रही हैं। इंडोनेशिया में कोरोना संक्रमण के कारण सैकड़ों बच्चों की मौत हो गई है। इस महीने हर हफ़्ते 100 से ज़्यादा बच्चों की मौतें हुई हैं। इंडोनेशिया में जो मामले आ रहे हैं उसके 12.5 फ़ीसदी बच्चे हैं।
अपनी राय बतायें