उत्तर प्रदेश विधानसभा के चुनाव के लिए बीजेपी ने अपनी तैयारियों को टॉप गियर में डाल दिया है। पार्टी ने उत्तर प्रदेश के सांसदों की दिल्ली में दो दिन की बैठक के बाद यह फ़ैसला लिया है कि वह राज्य में 16 अगस्त से जन आशीर्वाद यात्रा निकालेगी। यह यात्रा 18 अगस्त तक निकाली जाएगी।
हाल ही में हुए मोदी मंत्रिमंडल के विस्तार में उत्तर प्रदेश से 7 मंत्री बनाए गए थे। इनमें से 6 बीजेपी और एक उसके सहयोगी अपना दल की अनुप्रिया पटेल थीं। राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने इन नए मंत्रियों को निर्देश दिया है कि उनकी यह यात्रा तीन से चार संसदीय क्षेत्रों और चार से पांच जिलों में जाए।
बीजेपी जानती है कि 2022 की शुरुआत में जिन पांच राज्यों में चुनाव हैं, उन्हें जीतना बेहद ज़रूरी है। अगर वह जीत गई तो 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए बड़ी मनोवैज्ञानिक बढ़त हासिल कर लेगी लेकिन अगर नतीजे उल्टे रहे तो 2024 में दिल्ली की सत्ता से उसकी विदाई हो सकती है।
इन राज्यों में भी उत्तर प्रदेश की बड़ी सियासी अहमियत है क्योंकि 80 लोकसभा सीटों वाले इस राज्य से बीजेपी को पिछले दो लोकसभा चुनाव में जबरदस्त बढ़त मिली है।
उत्तर प्रदेश को लेकर बीजेपी और संघ जितने बड़े स्तर पर मंथन कर रहे हैं, उससे यही लगता है कि उनके पास यहां से अच्छा फ़ीडबैक नहीं पहुंचा है।
पंचायत चुनाव में ख़राब प्रदर्शन, कोरोना महामारी में बदइंतजामियों के कारण हुई किरकिरी, किसान आंदोलन और उनके मिशन यूपी-उत्तराखंड ने बीजेपी और संघ की चिंताओं में इजाफा ही किया है।
राजनीतिक उथल-पुथल भरा माहौल
बीते महीनों में जिस तरह संघ और बीजेपी के बड़े नेताओं ने लखनऊ के ताबड़तोड़ दौरे किए, दिल्ली में हुई संघ की बैठक में उत्तर प्रदेश का चुनाव अहम मुद्दा रहा, योगी आदित्यनाथ की दिल्ली दरबार में पेशी हुई, उससे साफ है कि बीजेपी और संघ किसी भी हालत में उत्तर प्रदेश को खोना नहीं चाहते क्योंकि वह जानते हैं कि दिल्ली की हुक़ूमत तक पहुंचाने वाला उत्तर प्रदेश ही है और यहां हार का मतलब है दिल्ली की गद्दी से विदाई की शुरुआत हो गयी है।
चर्चा तो यहां तक हुई कि पार्टी योगी आदित्यनाथ को हटा सकती है। राजनीतिक उथल-पुथल भरे इस माहौल से पार्टी के प्रदर्शन पर असर पड़ने की आशंका को देखते हुए ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बनारस में योगी की तारीफ़ की और संदेश दिया कि राज्य में नेतृत्व परिवर्तन नहीं होगा।
निश्चित रूप से इस बात को जानते हुए ही चुनाव से सात महीने पहले पार्टी ने अपने मंत्रियों-सांसदों से लेकर बाक़ी नेताओं को चुनावी पिच पर उतरने का आदेश दे दिया है।
यात्रा की अहमियत
बीजेपी के एक सांसद ने एएनआई से कहा कि जन आशीर्वाद यात्रा इस मायने में अहम है कि इसमें शामिल मंत्री लोगों तक पहुंचकर उन्हें इस बात का संदेश देंगे कि विपक्षी दलों के जातिवादी राजनीतिक एजेंडे को हराने के लिए ही मोदी सरकार ने समाज के कमज़ोर तबक़ों के साथ ही अलग-अलग समुदाय के लोगों को मंत्रिमंडल में जगह दी है।
एएनआई के मुताबिक़, बीजेपी ने उत्तर प्रदेश में किसानों, युवाओं और महिलाओं के सम्मेलन करने की भी योजना बनाई है।
इस बैठक में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह, प्रदेश महामंत्री (संगठन) सुनील बंसल और प्रदेश प्रभारी राधा मोहन सिंह भी शामिल रहे। बैठक में पार्टी के सांसदों को केंद्र सरकार के द्वारा चलाई जा रही योजनाओं के बारे में भी बताया गया।
बीजेपी ने 28 व 29 जुलाई को हुई इस बैठक में उत्तर प्रदेश के बृज, पश्चिमी इलाके़, कानपुर, अवध, काशी, मध्य इलाक़े सहित बाक़ी इलाक़ों के चुनावी हालात पर मंथन किया है। बैठक में लोकसभा और राज्यसभा के भी सांसद मौजूद रहे। इस बैठक से पहले स्वतंत्र देव सिंह, सुनील बंसल ने पूरे प्रदेश का दौरा कर पार्टी के जिला और ब्लॉक स्तर के पदाधिकारियों, विधायकों-मंत्रियों के साथ बैठक की थी।
न्यूज़ 18 के मुताबिक़, पार्टी राज्य के हर बूथ पर 11 सदस्यों की कमेटी बनाने जा रही है। यह पार्टी के पूर्व अध्यक्ष अमित शाह के माइक्रो लेवल बूथ मैनेजमेंट का ही विस्तार है जिसकी बदौलत पार्टी को 2014, 2017 और 2019 के लोकसभा चुनाव में अच्छी-ख़ासी सफलता मिली थी।
विपक्ष की एकजुटता से पस्त
बता दें कि पेगासस जासूसी मामले, किसान आंदोलन को लेकर मोदी सरकार संसद में बुरी तरह घिरी हुई है। विपक्षी सांसदों ने 19 जुलाई से शुरू हुए मानसून सत्र में इन दोनों मुद्दों को जोर-शोर से उठाया है और किसान भी संसद के बगल में ही अपनी संसद चला रहे हैं।
इन दोनों मामलों में विपक्ष जिस तरह एकजुट हुआ है, उससे सरकार पस्त है और उसके माथे पर चिंता की लकीरें साफ दिखाई देती हैं। वह विपक्ष के इस सवाल का जवाब नहीं दे रही है कि उसने पेगासस का सॉफ़्टवेयर ख़रीदा या नहीं।
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