कृषि क़ानूनों को लेकर जैसा माहौल भारत में है, वैसा ही कुछ दुनिया के दूसरे देशों में बसे भारतीयों के बीच है। मतलब यह कि यहां जिस तरह सरकार समर्थक कृषि क़ानूनों के पक्ष में हैं और किसान समर्थक विरोध में, वैसा ही माहौल बाहर भी है। ख़ासकर ऐसी जगहों पर जहां पंजाब और भारत के अन्य राज्यों के लोगों की अच्छी-खासी संख्या है।
जैसे-जैसे किसान आंदोलन लंबा हो रहा है, किसान समर्थकों और भारत सरकार के समर्थकों के बीच भी तनाव बढ़ रहा है। तनाव बढ़ने का नतीजा सिडनी में दिखा है, जहां सिख समुदाय के लोगों की कार पर हमले का एक वीडियो सामने आया है।
इस घटना की सीसीटीवी फ़ुटेज में दिख रहा है कि कुछ अज्ञात लोग बेसबॉल बैट और हथौड़ों से उस कार पर हमला कर रहे हैं जिसमें ये सिख बैठे हुए हैं। हालांकि सिखों को इसमें चोट नहीं आई लेकिन कार में 10 हज़ार डॉलर से ज़्यादा का नुक़सान हुआ है। यह वाक़या बीते हफ़्ते सिडनी वेस्ट के हारिस पार्क में हुआ। कार पर हमला होने पर सिखों ने तेज़ी से कार को भगाया और वहां से निकल गए।
ये जमाना सोशल मीडिया का है और दिल्ली के बॉर्डर्स पर चल रहे किसानों के आंदोलन का पल-पल का अपडेट विदेशों में रह रहे भारतीयों के बीच पहुंच रहा है।
ऑस्ट्रेलिया के न्यूज़ चैनल 7न्यूज़ के मुताबिक़, कार में मौजूद रहे एक सिख ने बताया कि हमलावर कार पर चारों तरफ से वार कर रहे थे और इसमें किसी की भी मौत हो सकती थी। कुछ हफ़्ते पहले एक और वीडियो सामने आया था कि जिसमें दिखा था कि सिख समुदाय के एक शख़्स पर कुछ लोगों ने हमला कर दिया था।
सिडनी में रहने वाले कमल सिंह ने 7न्यूज़ से कहा कि वे एक-दूसरे से नहीं झगड़ना चाहते और शांति से रहना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि यह ऐसा है कि भारतीय ही भारतीयों से लड़ रहे हैं।
सिडनी वेस्ट में स्थित कई रेस्तरां और मंदिर के संचालकों ने कहा है कि हिंसा और तोड़फोड़ की घटनाएं बढ़ रही हैं। ऐसे में स्थानीय प्रशासन ने इन समुदायों के नेताओं से कहा है कि वे मध्यस्थता करें और इस तरह की घटनाओं को रोकने में सहयोग करें।
सिडनी प्रशासन के अनुसार, कृषि क़ानूनों का मुद्दा और किसान आंदोलन के कारण सिख समुदाय और भारत सरकार के समर्थकों के बीच तनाव बढ़ रहा है।
किसानों के समर्थन में रैलियां
जब से किसान दिल्ली के बॉर्डर्स पर आकर बैठे हैं, उनके समर्थन में अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन, लंदन, बर्मिंघम, कैलिफ़ोर्निया, ऑकलैंड सहित दुनिया के कई देशों और शहरों में जहां सिखों की अच्छी आबादी है, वहां किसान रैलियां निकाली जा चुकी हैं और अभी भी प्रदर्शन जारी हैं। इनमें सिख समुदाय के लोग ट्रैक्टर-ट्रालियों के साथ हिस्सा ले रहे हैं। कई देशों के भारतीय दूतावासों के बाहर भी प्रदर्शन किया जा चुका है।
इस तरह की घटनाएं चिंताजनक हैं क्योंकि इससे भारतीयों के बीच दरार पैदा हो रही है। किसान आंदोलन को 100 दिन पूरे होने वाले हैं और सरकार कृषि क़ानूनों के मुद्दे पर झुकने को तैयार नहीं है। रेल रोको आंदोलन से लेकर भूख हड़ताल तक करने के बाद किसानों ने अब चुनावी राज्यों में बीजेपी को हराने की अपील की है। ऐसे में लोगों के बीच कृषि क़ानून को लेकर बढ़ रहे तनाव को कम करने के लिए भारत सरकार को आगे आना चाहिए।
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