ऐसे समय जब तालिबान ने अफ़ग़ानिस्तान के 12 से ज़्यादा प्रांतों पर क़ब्ज़ा कर लिया है, कई जगहों से खबरें आ रही हैं कि वे मानवाधिकारों का उल्लंघन कर रहे हैं और महिलाओं पर कई तरह के प्रतिबंध लगा रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र ने इस पर चिंता जताई है और इसे 'भयावह' क़रार दिया है।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव अंतोनियो गुटरेश ने कहा है कि "ऐसी भयावह ख़बरें आ रही हैं कि जिन इलाक़ों में तालिबान ने नियंत्रण कर लिया है, वहाँ लड़कियों व स्त्रियों के अधिकारों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।"
महासचिव ने यह बात ऐसे समय कही है जब अफ़ग़ानिस्तान के दो-तिहाई से ज़्यादा बड़े हिस्से पर इस इसलामी कट्टरपंथी गुट का नियंत्रण हो चुका है। वे राजधानी काबुल से सिर्फ 150 किलोमीटर दूर हैं।
निशाने पर महिलाएं!
अंतोनियो गुटरेश ने कहा है, मैं इससे बहुत ही विचलित हूँ कि शरुआती संकेत मिलने लगे हैं कि तालिबान ने अपने नियंत्रण के इलाक़ों में मानवाधिकारों का उल्लंघन किया है और ख़ास कर लड़कियों व महिलाओं को निशाना बनाया है।
उन्होंने कहा, "यह देखना भयावह व हृदय-विदारक है कि अफ़ग़ान स्त्रियों व महिलाओं के अधिकार उनसे छीने जा रहे हैं।"
बता दें कि इससे पहले अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेन्सी एएफ़पी ने ख़बर दी थी कि ताजिकिस्तान से सटे अफ़ग़ान इलाके पर नियंत्रण करने के बाद स्थानीय तालिबान कमान्डर ने मसजिदों के इमामों से कहा था कि वे 15 साल से ज़्यादा की लड़कियों और 40 साल से कम उम्र की विधवाओं की सूची उन्हें दें ताकि तालिबान लड़ाकों से उनका निकाह कराया जा सके।
स्थानीय कमान्डर ने यह आदेश भी जारी किया था कि पुरुष दाढ़ी रखें और महिलाएं घर के पुरुष के बग़ैर बाहर न जाएं व बुर्का पहनें।
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डरी हुई हैं महिलाएं
लेकिन तालिबान प्रवक्ता ने बाद में इससे इनकार किया था और कहा था कि उनके संगठन के ख़िलाफ़ दुष्प्रचार है।
लेकिन यह सच है कि अफ़ग़ानिस्तान की महिलाएँ डरी हुई हैं।
अफ़ग़ानिस्तान की एक महिला फ़िल्म निर्माता साहरा करीमी ने काबुल में बीबीसी से कहा कि ऐसा लग रहा है कि दुनिया ने अफ़ग़ानिस्तान से मुँह मोड़ लिया है।
याद दिला दें कि इसके पहले जब अफ़ग़ानिस्तान पर तालिबान का शासन था तो उसने कठोर व कट्टर इसलामिक नियम क़ानून लगा दिए थे, जिसका सबसे अधिक नुक़सान महिलाओं को हुआ था।
क्या कहना है महिलाओं का?
साहारा करीम ने बीबीसी से कहा था, "मुझ पर ख़तरा मंडरा रहा है, लेकिन अब मैं अपने बारे में नहीं सोचती। मैं अपने देश के बारे में सोचती हूं... मैं अपनी पीढ़ी के बारे सोचती हूं जिसने इन बदलावों को लाने के लिए बहुत कुछ किया है।"
उन्होंने इसके आगे कहा, "मैं ख़ूबसूरत बच्चियों के बारे में सोचती हूं। इस देश में हज़ारों खूबसूरत, युवा और काबिल महिलाएं हैं।"
कंधार पर तालिबान के क़ब्ज़े से ठीक पहले अफ़ग़ानी लड़कियों के लिए काम करने वाली एक एनजीओ की कार्यकारी निदेशक पश्ताना दुर्रानी ने बीबीसी से कहा था कि कि वह अपनी ज़िंदगी पर मंडरा रहे ख़तरे की वजह से डरी हुई हैं क्योंकि वह महिलाओं की शिक्षा को लेकर काफ़ी मुखर रही हैं।
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