तालिबान ने बुधवार को कहा है कि उसने पंजशिर के इलाक़े को चारों ओर से घेर लिया है। साथ ही, पंजशिर को आज़ाद रखने की लड़ाई लड़ रहे लड़कों से कहा है कि वे समझौते के लिए आगे आएं। रॉयटर्स के मुताबिक़, तालिबानी नेता आमिर ख़ान मोताक़ी ने एक रिकॉर्डेड संदेश जारी कर कहा है कि लड़ाके अपने हथियार छोड़ दें।
पंजशिर प्रांत ही तालिबान के सामने चुनौती है। पूरे मुल्क़ में यही एक प्रांत है, जहां पर तालिबान तो छोड़िए, सोवियत संघ से लेकर अमेरिका तब कब्जा नहीं कर पाए और इस बात के लिए पंजशिर की मिसाल दी जाती रही है।
बीते कुछ दिनों में तालिबानी चरमपंथियों ने पंजशिर को घेरने की कोशिश की थी लेकिन तब उन्हें इसका माकूल जवाब मिला था।
ख़ुद को अफ़ग़ानिस्तान का राष्ट्रपति घोषित करने वाले अमरूल्लाह सालेह ने एलान किया था कि पंजशिर पर किसी का कब्जा नहीं होने दिया जाएगा। काबुल से 150 किमी. दूर स्थित इस प्रांत में ताजिक समुदाय के लोग बड़ी संख्या में रहते हैं। सालेह भी इसी समुदाय से आते हैं। इसके अलावा हजारा सहित बाक़ी समुदायों के लोग भी यहां रहते हैं।
ये सभी समुदाय किसी भी बाहरी ताक़त के आगे नहीं झुकते और इस बार भी वे झुकने के लिए तैयार नहीं हैं। पंजशिर के अब तक अजेय रहने के पीछे वजह यहां के लोगों की ज़ुल्म के ख़िलाफ़ बग़ावत की भावना भी है और वे अफ़ग़ानिस्तान पर किसी भी ताक़त का कब्जा नहीं होने देना चाहते।
अमहद शाह मसूद
पंजशिर का मतलब होता है, पांच शेरों की घाटी। पंजशिर का जिक्र अमहद शाह मसूद के नाम के बिना अधूरा है। अहमद शाह मसूद तालिबान के ख़िलाफ़ बनी मिलिशिया के नेता थे और उन्हें पंजशिर का शेर भी कहा जाता था। अहमद शाह मसूद ने ही तालिबान के ख़िलाफ़ नॉर्दन एलायंस बनाया था। मसूद की मौत के बाद उनके बेटे अहमद मसूद ने मिलिशिया की कमान संभाली और तालिबान को चुनौती देते रहे।
अब अहमद मसूद और सालेह ने पंजशिर के इन लड़ाकों की कमान संभाली हुई है। अहमद मसूद कहते हैं कि वे अफ़ग़ानिस्तान में लोकतंत्र को बचाने, महिलाओं और आम लोगों के हक़ों की हिफ़ाजत के लिए लड़ेंगे। मसूद ने दुनिया के देशों से मदद मांगी है।
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