तालिबान तो तालिबान है। गुड तालिबान और बैड तालिबान कुछ नहीं। यह कहनेवाली मोदी सरकार अब तालिबान से बात कर रही है। यह करना ज़रूरी है क्या? क्या इसपर सवाल उठाना गलत राजनीति है? आलोक जोशी के साथ विभूति नारायण राय, वेद प्रताप वैदिक, वीरेंद्र भट्ट और हिमांशु बाजपेई