लोकसभा के 5 दिवसीय विशेष सत्र की अचानक घोषणा से मोदी सरकार की मंशा पर स्वाभाविक रूप से संदेह पैदा हो गया है। और सरकार द्वारा अपनाई गई गोपनीयता और भी सस्पेंस पैदा करती है. प्रधानमंत्री क्या करते हैं ये एक मिलियन डॉलर सवाल है
कॉर्पोरेट सेक्टर पर जिस खुलासे का इंतजार था वो आ गया। OCCRP ने हिंडनबर्ग के लगाए आरोपों को और आगे बढ़ा दिया है। उनका कहना है कि अडानी कंपनियों में मैनेजमेंट से जुड़े लोगों के ही निवेश के पक्के दस्तावेज़ उनके हैं। यही नहीं सेबी पर आरोप है कि डीआरआई की चिट्ठी पर जांच करने के बजाय रेगुलेटर ने चुप्पी साध ली। क्या हैं यह आरोप और क्या इनसे बाज़ार फिर हिल सकता है? देखिए आलोक जोशी के साथ।
खबर है कि फिर एक बड़ा धमाका होनेवाला है। खबर एजेंसी से आई है। एजेंसी सूत्रों का हवाला दे रही है। मगर खबर आने के पहले ही ऐसी हल्ला कैसे? हिंडनबर्ग के अडानी पर इल्जाम लगाने का जो असर हुआ उसे देखकर बाज़ार तो ऐसी खबरों के नाम से ही हिलने लगता है।
यह एक बड़ा दिन है जब सीएजी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नाक के नीचे बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का पर्दाफाश किया है। अमित शाह का केंद्रीय गृह मंत्रालय इस सूची में सबसे ऊपर है, उसके बाद नितिन गडकरी का भूतल परिवहन मंत्रालय है। क्या इस रिपोर्ट के बाद कुछ बदलेगा?
यूपी कॉंग्रेस के नए अध्यक्ष अजय राय ने कहा कि राहुल गांधी अमेठी से लड़ेंगे और डंके की चोट पर जीतेंगे। यही नही प्रियंका चाहें तो वाराणसी से लड़ सकती हैं। क्या अजय राय कॉंग्रेस में नई जान फूंकेंगे? क्या राहुल गांधी सचमुच वापस अमेठी मेें ताल ठोक सकते हैं? आलोक जोशी के साथ सिद्धार्थ कलहंस, बृजेश शुक्ला, सुनील शुक्ला।
बीजेपी चुनाव मोड में आई। मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ में उम्मीदवारों के नाम का एलान। लेकिन राजस्थान में प्रदेश अध्यक्ष वसुंधरा राजे सिंधिया को किनारे लगाया गया। दो समितियों से उन्हें बाहर रखकर क्या पाएगी बीजेपी? क्या यह फैसला मोदी को महंगा पड़ेगा? आलोक जोशी के साथ विजय विद्रोही, विजय त्रिवेदी और अनिल शर्मा।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मीडिया का सेल्फ रेगुलेशन नाकाम हो गया है। अदालत ने यह भी कहा कि वो चैनलों पर नियंत्रण के लिए गाइडलाइंस जारी करेगा। सवाल है कि क्या इससे नफरती मीडिया पर रोक लग पाएगी? और फिर अभिव्यक्ति की आज़ादी का क्या होगा? आलोक जोशी के साथ क़मर वहीद नकवी और राहुल देव।
राहुल गांधी तो संसद में लौट आए। लेकिन संजय सिंह गए, अधीर रंजन चौधरी और राघव चड्ढा भी निलंबित हुए। आखिर संसद को किस राह चलाने की तैयारी है? आलोक जोशी के साथ राकेश सिन्हा, शीतल सिंह और मुकेश सिंह।
पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगई ने संविधान के मूल ढांचे में फेरबदल न करने के सिद्धांत पर सवाल उठा दिया है। न्यायाधीश के तौर पर इसी सिद्धांत का हवाला देनेवाले गोगई क्यों बदल गए? इससे पहले उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ भी ऐसे ही विचार रख चुके हैं। यह सवाल पहली बार नहीं उठा है, लेकिन सवाल यह है कि इस वक्त यह बात उठाने का अर्थ क्या है?
राहुल गांधी को आखिरकार सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली। उनकी सज़ा पर रोक लगाई गई। लेकिन क्या यह राहुल की मुश्किलों का अंत है। सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश राहुल के लिए बोनस है या बीजेपी के लिए? आलोक जोशी के साथ विजय त्रिवेदी, राकेश सिन्हा, आशुतोष
मणिपुर के बाद हरियाणा हिंसा का मामला भी सुप्रीम कोर्ट के हवाले। अदालत ने रैलियों पर रोक नहीं लगाई। मगर सरकारों को हिदायत जारी कर दी। सवाल है कि क्या दंगा रोकने का काम भी अदालत ही करेगी? आलोक जोशी के साथ दिनेश द्विवेदी, शीतल पी सिंह, सतीश के सिंह, विभूति नारायण राय।
वरिष्ठ पत्रकार राहुल देव ने वो पूछ लिया जो सब पूछना चाहते थे। उन्होंने न्यूज 18 के एंकर अमन चोपड़ा और उसके प्रोग्राम के नफरती एजेंडा पर सीधे सवाल उठाए तो अमन भी जवाबी हमले के लिए आ गया। अमन चोपड़ा ने राहुल जी के नेतृत्व में काम किया है। कैसा लगता है जब आपका पुराना सहयोगी ऐसे रंग दिखाता है? और इस नफरत की खेती से मुकाबला कैसे करें?
योगी आदित्यनाथ ने काशी के ज्ञानवापी मसले पर नया विवाद खड़ा कर दिया है। उनका कहना है कि मुस्लिम समाज को आगे आकर ऐतिहासिक भूल का समाधान करना चाहिए। सवाल है कि जब मामला अदालत में चल रहा है तब मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे व्यक्ति को ऐसा बयान देना चाहिए? योगी आदित्यनाथ आखिर करना क्या चाहते हैं?
विपक्षी दल संसद में प्रधानमंत्री को घेरने की योजना बनाते रहे और उन्होंने चुनाव अभियान शुरू कर दिया। संसद में आने से घबरा रहे हैं प्रधानमंत्री या उन्हें संसद की फिक्र नहीं है? मणिपुर हो या कोई और सवाल क्या विपक्ष सरकार पर दबाव बना पाएगा? आलोक जोशी के साथ विनोद शर्मा, सुनील शुक्ला और विजय विद्रोही।
मोदी सरकार चाहती थी कि विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव लाए और विपक्ष जाल में फंस गया? माहौलबंदी में INDIA ने मोदी सरकार पर बाज़ी मार ली? क्या विपक्ष को जीत का फॉर्मूला मिल गया है? बीजेपी अविश्वास प्रस्ताव चाहती थी या उससे बचना चाहती थी? आलोक जोशी के साथ प्रोफेसर अभय दुबे।