भारत की जनता पर, और उसमें हर धर्म और समुदाय के लोग मौजूद हैं एक दीर्घकालिक संज्ञानात्मक आक्रमण किया जा रहा है। यह कहा जा सकता है कि इस आक्रमण ने न सिर्फ हमें गहरा संज्ञानात्मक आघात दिया है बल्कि इससे एक बड़ी आबादी की संज्ञानात्मक क्षमताएँ बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई हैं। इस दुर्घटना के कारण  अपनी दुनिया को देख और समझ पाने के उनके रास्ते में ऐसी बाधा पैदा हो गई है जिसे हटाना असम्भव तो नहीं है लेकिन बहुत बहुत मुश्किल ज़रूर है।