भारत की जनता पर, और उसमें हर धर्म और समुदाय के लोग मौजूद हैं एक दीर्घकालिक संज्ञानात्मक आक्रमण किया जा रहा है। यह कहा जा सकता है कि इस आक्रमण ने न सिर्फ हमें गहरा संज्ञानात्मक आघात दिया है बल्कि इससे एक बड़ी आबादी की संज्ञानात्मक क्षमताएँ बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई हैं। इस दुर्घटना के कारण अपनी दुनिया को देख और समझ पाने के उनके रास्ते में ऐसी बाधा पैदा हो गई है जिसे हटाना असम्भव तो नहीं है लेकिन बहुत बहुत मुश्किल ज़रूर है।
हिंदुओं को उनके दिमाग़ के साथ की जा रही घपलेबाजी की गंभीरता को समझना होगा!
- वक़्त-बेवक़्त
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- 10 Jan, 2022

2 अक्टूबर को मालूम हुआ कि लाखों लोगों ने बापू के हत्यारे की जयकार करते हुए ट्वीट किया है। क्या हमारे समाज में घृणा का इतना विस्तार है? टेक्नोलॉजी से परिचित एक मित्र ने पड़ताल करके बतलाया कि इस संख्या में असल ट्वीट कुछ हजार ही थे, बाकी नकली। लेकिन इसका एक असर तो पड़ा ही। समाज के बारे में हमारी समझ इससे प्रभावित हुई।
हम आगे इस संज्ञानात्मक क्षति को समझने की कोशिश करेंगे।'वायर' की हाल की एक रिपोर्ट से उस संज्ञानात्मक युद्ध की व्यापकता और गहराई का अंदाज मिलता है जो जनता के विरुद्ध चल रहा है।
टेक फॉग ऐप
यह रिपोर्ट बतलाती है टेक फॉग नाम के एक ऐप के जरिए किस तरह समाज में घृणा को इस तरह सक्रिय किया जा रहा है जिससे वह स्वतःस्फूर्त और उससे अधिक व्यापक जान पड़े, जितनी वह है। यानी उसका विस्तार वास्तविकता से अधिक दिखलाई पड़े और वही सच जान पड़ने लगे।