गाँधी फिर लौट आए हैं। इस बार अपने हत्यारे के साए में। हरिशंकर परसाई ने बहुत साल पहले एक लेखक की अंतर्दृष्टि से गाँधी की इस गति का अनुमान कर लिया था। उन्होंने लिखा था - ‘एक समय आएगा जब पूछा जाएगा : आखिर गाँधी कौन था? जवाब मिलेगा : अरे, वही जिसे गोडसेजी ने मारा था।’ ऐसा अनेक लोगों का ख्याल है कि गाँधी का जीवन अनेक पापों का इतिहास है और आज वे लोग सत्ता में हैं।
अपने जीवन के अंतिम चरण में उनके पाप सीमा पार कर गए। जैसे कृष्ण ने शिशुपाल के सौ गुनाह बर्दाश्त किए लेकिन जब वह उससे आगे बढ़ गया तब उनका चक्र उनके हाथ से छूट गया और शिशुपाल वध हुआ। गोडसे को कृष्ण और गाँधी को शिशुपाल मानने वालों की कमी नहीं!