7 नवंबर 1920 की बात है, काँग्रेस नेता लाला लाजपत राय मजदूरों की दशा पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि “संगठित पूंजी ने भारत का रक्त चूस लिया है। आज भारत संगठित पूंजी के नीचे बेहाल पड़ा है।” लाला जी पहले नेता थे जिन्होंने पूंजीवाद और साम्राज्यवाद को एकसाथ जोड़कर देखा था। हो सकता है आज स्वतंत्र भारत के परिप्रेक्ष्य में आजादी के 77 साल बाद ‘साम्राज्यवाद’ शब्द सुनकर कुछ लोगों को अपच हो जाए, लेकिन जिस तरह हरियाणा के मानेसर में ई-कॉमर्स कंपनी अमेज़न में कर्मचारियों के शोषण का मामला सामने आया है उससे लाला जी की चिंता आधुनिक भारत में फिर से जीवित हो उठी है।
अमेजन कर्मचारियों का शोषण कर रहा है, जिम्मेदार कौन?
- विमर्श
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- 16 Jun, 2024

भारत में श्रम कानूनों का मजाक लंबे समय से बन रहा है। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में इनकी आड़ में शोषण नई ऊंचाइयों को छू रहा है। लेकिन अभी अमेजन नामक कंपनी के बारे में जो रिपोर्ट आ रही है वो काफी चौंकाने वाली है। इस बहुराष्ट्रीय कंपनी ने तो अमानवीयता की हदें भी पार कर दी हैं। सरकार चुप बैठी हुई है। स्तंभकार वंदिता मिश्रा अमेजन के शोषण का पर्दाफाश इस लेख में कर रही हैं। पढ़िएः