7 नवंबर 1920 की बात है, काँग्रेस नेता लाला लाजपत राय मजदूरों की दशा पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि “संगठित पूंजी ने भारत का रक्त चूस लिया है। आज भारत संगठित पूंजी के नीचे बेहाल पड़ा है।” लाला जी पहले नेता थे जिन्होंने पूंजीवाद और साम्राज्यवाद को एकसाथ जोड़कर देखा था। हो सकता है आज स्वतंत्र भारत के परिप्रेक्ष्य में आजादी के 77 साल बाद ‘साम्राज्यवाद’ शब्द सुनकर कुछ लोगों को अपच हो जाए, लेकिन जिस तरह हरियाणा के मानेसर में ई-कॉमर्स कंपनी अमेज़न में कर्मचारियों के शोषण का मामला सामने आया है उससे लाला जी की चिंता आधुनिक भारत में फिर से जीवित हो उठी है।