एक हथिनी बिजली का नंगा तार छूकर मारी गई लेकिन उसके छोटे से घायल बच्चे को किसी तरह बचा लिया गया। तमिलनाडु के मुदुमलै नेशनल पार्क में पूरे पांच साल लगाकर फिल्माई गई कार्तिकी गोंजाल्वेज की फिल्म ‘द एलीफ़ेंट व्हिसपरर्स’ यह नहीं बताती कि हथिनी ने बिजली का तार आखिर छुआ कैसे। कई सारे बेरहम सवाल इससे जुड़े चले आते हैं। फ़सलें बचाने के लिए की गई इलेक्ट्रिक फेंसिंग। हाथीदांत और चंदन की तस्करी। इस बार डॉक्यूमेंट्री कैटेगरी का ऑस्कर जीतने वाली इस फिल्म में ऐसी कड़वी सचाइयों को न छूने का फ़ैसला फ़िल्मकार ने इरादतन किया हो, ऐसा भी नहीं है। फिल्म का क्राफ्ट ही कुछ ऐसा है कि विलेन के लिए इसमें कोई जगह नहीं है।
क्या हमारे वन्य जीवन को मुद्दा बनाएगा यह ऑस्कर?
- विविध
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- 14 Mar, 2023

इंसान और वन्य जीवों के बीच तालमेल को लेकर बनी ‘द एलीफ़ेंट व्हिसपरर्स’ को ऑस्कर अवॉर्ड मिलने के बाद क्या वन्य जीवन पर अब चर्चा होगी? क्या उन मुद्दों पर अब ध्यान जाएगा जो बेहद अहम हैं?
और तो और, दिनोंदिन बेरहम होते जा रहे मौसम तक को इसमें खलनायक की तरह पेश नहीं किया गया है। सिर्फ कुछ गिने-चुने फ्रेम्स के ज़रिये बता दिया गया है कि ठेठ गर्मियों में जब जंगल सूख जाते हैं तो चारा-पानी के लिए परेशान हाथियों के झुंड बौखलाहट में बस्तियों का रुख करते हैं। इस दौरान कई बार उनके बच्चे भटक जाते हैं। ऐसे जानलेवा पहलुओं से जान-बूझकर दूर रहना भी कई बार बहुत मायने रखता है। अगर हम जान भी लें कि दुनिया में कुछ गिने-चुने आज़ाद जानवर कितने भयानक दबावों का सामना कर रहे हैं, तो इसके मायने क्या निकलेंगे? बात तब है जब हम उनके दुख को महसूस करें। जानें कि उनके लिए कुछ किया जा सकता है। यह भी कि एक गरीब वनवासी दंपति एक जंगली हाथी को अपने बच्चे की तरह पालता है, उससे अलग होकर रोता है।