जोशीमठ में जमीन धंसने, घरों की दीवारों में दरारें पड़ने और कई जगहों से पानी निकलने के बाद अब प्रशासन भी ज़्यादा चिंतित दिखने लगा है। कई दिनों से स्थानीय लोगों की मांगों के बीच आख़िरकार अब चमोली प्रशासन ने एनटीपीसी के सभी निर्माण कार्यों पर रोक लगा दी है।
चमोली डीएम ने आदेश जारी कर कहा है कि अगले आदेश तक बिजली परियोजना के लिए होने वाले सभी निर्माण कार्यों पर रोक रहेगी। डीएम की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि मौजूदा समय में जोशीमठ नगर पालिका परिषद क्षेत्र में जमीन धंस रही है और इसी परिस्थिति में सुरक्षा को देखते हुए निर्माण कार्यों को तत्काल रोका जाना चाहिए।
इसके साथ ही कई और फ़ैसले किए गए हैं। कहा गया है कि एनटीपीसी के प्रभावित परिवारों के लिए जोशीमठ के सुरक्षित स्थानों पर क़रीब दो हज़ार प्री फेब्रिकेटेड हट्स बनाए जाएँ।
इधर, जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति ने कहा है कि अगर समय रहते यहां से प्रभावित लोगों को विस्थापित नहीं किया गया तो बड़े पैमाने पर जन-धन की हानि होगी। संघर्ष समिति ने राज्य सरकार से मांग की है कि लोगों को जल्द विस्थापित किया जाए। पुनर्वास की मांग को लेकर इलाके के लोग लगातार आंदोलन कर रहे हैं। ठंड के इस मौसम में उनके लिए चुनौतियां और ज्यादा बढ़ गई हैं। अपनी आवाज को सरकार तक पहुंचाने के लिए लोगों ने कैंडल मार्च भी निकाला है।
जमीन धंसने की वजह से लगभग 570 घरों में दरारें आ गई हैं। 60 से ज्यादा परिवारों ने जोशीमठ छोड़ दिया है। प्रशासन का कहना है कि 29 परिवारों को सुरक्षित जगहों पर ले जाया गया है। लेकिन अभी भी 500 से ज्यादा परिवारों के 3000 लोगों का जीवन खतरे में है।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का कहना है कि जोशीमठ को बचाने की हर संभव कोशिश की जा रही है। मुख्यमंत्री ने न्यूज़ एजेंसी एएनआई से कहा कि इस मामले में सरकार ने सर्वे कराया है और सर्वे की रिपोर्ट के आधार पर सरकार आगे काम कर रही है। उन्होंने बताया कि आपदा प्रबंधन विभाग के साथ ही जिला प्रशासन को अलर्ट पर रखा गया है और राज्य सरकार विस्थापन से लेकर तमाम दूसरी कार्रवाई करेगी।
जोशीमठ बद्रीनाथ, औली और वैली ऑफ फ्लावर्स तक पहुंचने का प्रवेश द्वार भी है और इस वजह से यहां पर बड़ी संख्या में लोग आते जाते हैं और जन दबाव रहता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि लगातार चल रही निर्माण गतिविधियों और नदियों के कटाव ने हालात को और बदतर बना दिया है। चमोली जिला पड़ोसी मुल्क चीन की सीमा से भी लगता है।
जोशीमठ को लेकर साल 1976 में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा बनाई गई मिश्रा कमेटी की रिपोर्ट में भी इस शहर के धंसने का जिक्र किया गया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि 1976 की रिपोर्ट के बाद से आज तक भी सरकारों ने कोई कार्रवाई नहीं की।
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