विधानसभा में ऐतिहासिक "समान नागरिक संहिता विधेयक" पेश किया। #UCCInUttarakhand pic.twitter.com/uJS1abmeo7
— Pushkar Singh Dhami (@pushkardhami) February 6, 2024
उत्तराखंड समान नागरिक संहिता (UCC) को मंगलवार सुबह उत्तराखंड विधानसभा में पेश किया गया। अभी इस बिल पर सदन में बहस होनी है। लेकिन इसकी कुछ खास बातों को जानिए। इस प्रस्तावित कानून में कहा गया है कि लिव-इन रिलेशनशिप से पैदा हुए बच्चों को कानूनी मान्यता मिलेगी। जानिए और भी बातेंः
- एनडीटीवी के मुताबिक यूसीसी लागू होने के बाद उत्तराखंड में लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले या प्रवेश करने की योजना बनाने वाले व्यक्तियों को जिला प्रशासन की साइट पर खुद को रजिस्ट्रेशन कराना होगा। साथ में रहने की इच्छा रखने वाले 21 वर्ष से कम उम्र के लोगों के लिए माता-पिता की सहमति आवश्यक होगी। ऐसे रिश्तों का अनिवार्य पंजीकरण उन व्यक्तियों पर भी लागू होगा जो "उत्तराखंड के निवासी हैं और राज्य के बाहर लिव-इन रिलेशनशिप में हैं।"
- लिव-इन रिलेशनशिप उन मामलों में रजिस्टर्ड नहीं किए जाएंगे जो "सार्वजनिक नीति और नैतिकता के विरुद्ध" हैं। यानी उनमें से कोई एक पार्टनर विवाहित है या किसी अन्य रिश्ते में है तो उसे रजिस्टर्ड नहीं किया जाएगा। उनमें से अगर एक पार्टनर नाबालिग है, तो भी उसे रजिस्टर्ड नहीं किया जाएगा। उसे धोखाधड़ी से संबंध बनाने की कोशिश माना जाएगा।
- एनडीटीवी के मुताबिक लिव-इन रिलेशनशिप के विवरण स्वीकार करने के लिए एक वेबसाइट होगी, जिसे जिला रजिस्ट्रार से सत्यापित किया जाएगा। जिला रजिस्ट्रार रिश्ते की वैधता स्थापित करने के लिए "जांच" करेगा। ऐसा करने के लिए, वह किसी एक या दोनों साझेदारों या किसी अन्य को बुला सकता है।
- अगर रजिस्ट्रेशन से इनकार कर दिया जाता है, तो रजिस्ट्रार को अपने कारणों को लिखित रूप में सूचित करना होगा।
रजिस्टर्ड लिव-इन संबंधों को "खत्म" करने के लिए भी एक फॉर्म भरकर लिखित बयान की आवश्यकता होगी, जिसकी पुलिस जांच भी कर सकती। यदि रजिस्ट्रार को लगता है कि संबंध समाप्त करने के कारण "गलत" या "संदिग्ध" हैं तो 21 वर्ष से कम आयु वालों के माता-पिता या अभिभावकों को भी सूचित किया जाएगा।
- लिव-इन रिलेशनशिप की घोषणा को छिपाना या गलत जानकारी देने पर किसी भी व्यक्ति को तीन महीने की जेल, 25,000 रुपये का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं। जो कोई भी लिव-इन रिलेशनशिप को रजिस्टर्ड कराने में विफल रहता है, उसे अधिकतम छह महीने की जेल, ₹ 25,000 का जुर्माना या दोनों का सामना करना पड़ेगा। यहां तक कि रजिस्ट्रेशन में एक महीने से भी कम की देरी पर तीन महीने तक की जेल, ₹ 10,000 का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।
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लिव-इन रिलेशनशिप से पैदा हुए बच्चों को कानूनी मान्यता मिलेगी; यानी, वे "दंपति की वैध संतान होंगे।" इसका मतलब है कि "विवाह से, लिव-इन रिलेशनशिप में, या टेस्ट ट्यूब आदि से पैदा हुए सभी बच्चों के अधिकार समान होंगे... किसी भी बच्चे को 'नाजायज' के रूप में परिभाषित नहीं किया जा सकता है।"
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