उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने चारधाम यात्रा को लेकर गुरुवार को एक उच्च स्तरीय बैठक के बाद कहा कि इस बार यह यात्रा स्थगित की जा रही है।
इस बैठक में आला अफ़सरों के अलावा पर्यटन और धार्मिक मामलों के मंत्री सतपाल महाराज भी मौजूद थे। बैठक में आम सहमति से यह निर्णय लिया गया कि मई के दूसरे हफ्ते में शुरू होने वाली चारधाम यात्रा को कोरोना के कारम स्थगित कर दिया जाए।
कोरोना महामारी पहाड़ों तक न पहुँचे, इसके लिए वहाँ आने वाले तीर्थयात्रियों को अभी न आने को कहा जा रहा है। हालात ठीक होने पर यात्रा पर फिर से विचार किया जाएगा।
इसके साथ ही सिखों के पवित्र स्थल श्री हेमकुंड साहिब गुरुद्वारे की यात्रा भी स्थगित कर दी गयी है। यह 10 मई से शुरू होनी थी।
उत्तराखंड हाई कोर्ट ने रवैया सख़्त करते हुए कहा था कि चार धाम यात्रा को एक और कुंभ नहीं बनने दिया जाएगा।
कुंभ से सबक
बता दें उत्तराखंड में हुए महाकुंभ स्नान के पहले ही दिन सरकारी आँकड़ों के अनुसार 30 लाख से ज़्यादा लोगों ने स्नान किया जबकि पूरे देश में कोरोना महामारी तेजी से फैल रहा है।
इसमें 30 साधुओं के कोरोना पॉजिटिव होने की ख़बर आई, एक साधु की मौत हो गई है।
मेला प्रशासन के मुताबिक़, 332 लोग कोरोना संक्रमित मिले। निरंजनी अखाड़े के सचिव रविंद्र पुरी ने कहा है कि हालात बिगड़ रहे हैं और ऐसे वक़्त में हमने कुंभ मेले से बाहर जाने का फ़ैसला लिया है।
10 से 15 अप्रैल के बीच कुंभ मेले में कोरोना के 2,167 पॉजिटिव मामले सामने आए। इनमें अखाड़ों के साधुओं से लेकर मेले में आए आम लोग शामिल हैं। मेले में 12 से 14 अप्रैल तक शाही स्नान चला और इसमें लाखों लोगों की भीड़ जुटी थी।
बाद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील के बाद जूना अखाड़ा ने मेला समाप्ति और सभी आहूत देवताओं के विसर्जन का एलान कर दिया।
क्या है चार धाम?
बता दें कि चार धाम उत्तराखण्ड राज्य के गढ़वाल मण्डल में उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग और चमोली जिलों में स्थित हैं, इसके तहत बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री की यात्रा एक साथ की जाती है। इनमें से बद्रीनाथ धाम, भारत के चार धामों का भी उत्तरी धाम है।
चार धाम के मंदिरों में बद्रीनाथ ज्यादा महत्वपूर्ण और लोकप्रिय है। इस छोटे चार धाम में बद्रीनाथ के अलावा केदारनाथ (शिव मंदिर), यमुनोत्री एवं गंगोत्री (देवी मंदिर) शमिल हैं। यह चारों धाम हिंदू धर्म में अपना अलग और महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं।
बीसवीं शताब्दि के मध्य में हिमालय की गोद में बसे इन चारों तीर्थस्थलों को छोटा चार धाम विशेषण दिया गया जो यहाँ बसे इन देवस्थानों को परिभाषित करते हैं। छोटा चार धाम के दर्शन के लिए 4,000 मीटर से भी ज्यादा ऊंचाई तक की चढ़ाई करनी होती है।
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