loader
पुनर्वास की मांग को लेकर कैंडल मार्च निकालते लोग।

जोशीमठ: घरों में दरारें, निकल रहा पानी, दहशत में हैं लोग

क्या चमोली जिले के जोशीमठ में कोई बड़ी प्राकृतिक आपदा आ सकती है क्योंकि यहां जमीन धंसने का सिलसिला लगातार जारी है और अब जमीन के नीचे से पानी भी निकलने लगा है। इस वजह से लोग बुरी तरह डरे हुए हैं और उनकी सरकार और प्रशासन से गुहार है कि उन्हें जल्द से जल्द सुरक्षित जगहों पर ले जाया जाए। 

जमीन धंसने की वजह से लगभग 570 घरों में दरारें आ गई हैं। 60 से ज्यादा परिवारों ने जोशीमठ छोड़ दिया है। प्रशासन का कहना है कि 29 परिवारों को सुरक्षित जगहों पर ले जाया गया है। लेकिन अभी भी 500 से ज्यादा परिवारों के 3000 लोगों का जीवन खतरे में है। 

पुनर्वास की मांग को लेकर इलाके के लोग लगातार आंदोलन कर रहे हैं। ठंड के इस मौसम में उनके लिए चुनौतियां और ज्यादा बढ़ गई हैं। अपनी आवाज को सरकार तक पहुंचाने के लिए लोगों ने कैंडल मार्च भी निकाला है। 

Uttarakhand Joshimath sinking Cracks in houses - Satya Hindi

जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति ने कहा है कि अगर समय रहते यहां से प्रभावित लोगों को विस्थापित नहीं किया गया तो बड़े पैमाने पर जन-धन की हानि होगी। संघर्ष समिति ने राज्य सरकार से मांग की है कि लोगों को जल्द विस्थापित किया जाए। 

दो होटल बंद 

जोशीमठ के लोग पिछले साल नवंबर से लगातार घरों में दरारें आने की शिकायत कर रहे हैं और अब हालात यह हैं कि जिन घरों में दरारें आई हैं वहां से पानी निकलना शुरू हो गया है। एहतियात के तौर पर दो होटलों को बंद कर दिया गया है। 

ताज़ो ख़बरें

जोशीमठ को बचाने की कोशिश

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का कहना है कि जोशीमठ को बचाने की हर संभव कोशिश की जा रही है। मुख्यमंत्री ने न्यूज़ एजेंसी एएनआई से कहा कि इस मामले में सरकार ने सर्वे कराया है और सर्वे की रिपोर्ट के आधार पर सरकार आगे काम कर रही है। उन्होंने बताया कि आपदा प्रबंधन विभाग के साथ ही जिला प्रशासन को अलर्ट पर रखा गया है और राज्य सरकार विस्थापन से लेकर तमाम दूसरी कार्रवाई करेगी। 

निश्चित रूप से ऐसे हालात में प्रभावित लोगों के सामने सवाल यही है कि वे अब कहां जाएंगे। घरों में दरारें आने और पानी निकलने की वजह से लोग बुरी तरह डरे हुए हैं, रात भर जागने को मजबूर हैं क्योंकि उनके घर रहने और सोने लायक नहीं बचे हैं। घरों के अलावा जोशीमठ में कुछ जगह पर सड़कों में भी दरारें आ गई हैं।
जोशीमठ बद्रीनाथ, औली और वैली ऑफ फ्लावर्स तक पहुंचने का प्रवेश द्वार भी है और इस वजह से यहां पर बड़ी संख्या में लोग आते जाते हैं और जन दबाव रहता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि लगातार चल रही निर्माण गतिविधियों और नदियों के कटाव ने हालात को और बदतर बना दिया है। चमोली जिला पड़ोसी मुल्क चीन की सीमा से भी लगता है। 
Uttarakhand Joshimath sinking Cracks in houses - Satya Hindi

परेशानियों का अंबार 

स्थानीय लोगों का कहना है कि सोमवार की रात को उन्होंने जमीन के नीचे से आ रही भयानक आवाजों को सुना और वे घरों से बाहर निकल आए और रात भर बाहर ही खड़े रहे। निश्चित रूप से जमीन के धंसने से प्रभावित होने वाले लोग अपने भविष्य को लेकर परेशान हैं क्योंकि अब उन्हें किसी नई जगह पर अपना आशियाना बनाना होगा और इसके लिए उन्हें काफी पैसे की जरूरत होगी। 

बताना होगा कि जोशीमठ को लेकर साल 1976 में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा बनाई गई मिश्रा कमेटी की रिपोर्ट में भी इस शहर के धंसने का जिक्र किया गया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि 1976 की रिपोर्ट के बाद से आज तक भी सरकारों ने कोई कार्रवाई नहीं की।

बेतरतीब विकास कार्य

जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक अतुल सती का कहना है कि अस्पताल, सेना के भवन, मंदिर, सड़कें भी धंस रही हैं। उन्होंने कहा कि एक तरफ तपोवन विष्णुगाढ़ परियोजना की एनटीपीसी की सुरंग ने जमीन को खोखला कर दिया है तो दूसरी ओर बाईपास सड़क के लिए की गई खुदाई ने शहर की नींव हिला दी है। 

उत्तराखंड से और खबरें
अतुल सती का कहना है कि जोशीमठ में लगातार बेतरतीब विकास कार्य होते रहे और जल विद्युत परियोजनाओं पर भी काम जारी रहा। जल विद्युत परियोजनाओं की सुरंग जोशीमठ के नीचे से गुजर रही है, इस बारे में कई बार सरकार को चेताया गया कि यह सुरंग जोशीमठ के अस्तित्व के लिए खतरनाक हो सकती है लेकिन सरकार ने हमारी बातों को नहीं सुना। 
Uttarakhand Joshimath sinking Cracks in houses - Satya Hindi
सती ने कहा कि अनियंत्रित और बिना सोच समझ के किया जा रहा विकास लोगों की जान लेने को तैयार है। जोशीमठ नगर पालिका के अध्यक्ष शैलेंद्र पवार कहते हैं कि एनटीपीसी की जो परियोजना यहां चल रही है, यह भविष्य में जोशीमठ के लिए विनाशकारी साबित हो सकती है, इसे तत्काल बंद किया जाए और जहां-जहां प्रकृति के साथ छेड़छाड़ की गई है, वहां इसे दुरुस्त किया जाए वरना जोशीमठ का विनाश होने से नहीं बचाया जा सकता। 
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

उत्तराखंड से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें