उत्तराखंड में इस बार कौन सरकार बनाएगा, इसे लेकर तमाम एग्जिट पोल भी तसवीर साफ नहीं कर सके हैं। कुछ एग्जिट पोल में बीजेपी की पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनने की बात कही गई है तो कुछ में कांग्रेस सरकार बनाएगी, ऐसा दावा किया गया है। ऐसे में बीजेपी और कांग्रेस ने तमाम विकल्पों पर विचार करना शुरू कर दिया है।
साल 2000 में बने उत्तराखंड का यह पांचवा विधानसभा चुनाव है और अब तक यहां हर बार सरकार बदलती रही है।
इसलिए यह सवाल चुनाव प्रचार के दौरान उठ रहा था कि क्या इस बार भी सत्ता परिवर्तन होगा। सत्ता परिवर्तन होगा या नहीं इसका पता 10 मार्च को चलेगा लेकिन 70 सीटों वाले उत्तराखंड में अगर किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलता है तो निश्चित रूप से निर्दलीयों या अन्य दलों से जो विधायक जीतेंगे उनका रोल बेहद अहम हो जाएगा।
2012 के नतीजे
यहां 2012 के विधानसभा चुनाव के नतीजों का जिक्र करना बेहद जरूरी है। 2012 में कांग्रेस को 32 सीटों पर जीत मिली थी जबकि बीजेपी को 31 सीटों पर जीत मिली थी। 70 सीटों वाले उत्तराखंड में सरकार बनाने के लिए 36 विधायक चाहिए। ऐसे में कांग्रेस ने बीएसपी, यूकेडी और निर्दलीय विधायकों के सहयोग से सरकार चलाई थी और यह सरकार पूरे 5 साल चली थी।
बीजेपी को डर है कि इस बार भितरघात के कारण उसे राज्य में नुकसान हो सकता है। चुनाव के बाद कई विधायकों ने कहा था कि उनके साथ भितरघात हुआ है। बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व लगातार इस बात पर नजर रख रहा है कि अगर सरकार बनाने के लिए कुछ सीटों की जरूरत हुई तो किस तरह आगे बढ़ा जा सकता है।
दूसरी ओर 2016 में कांग्रेस के विधायकों में बड़ी सेंध लगी थी और पार्टी को डर है कि इस बार भी ऐसा हो सकता है। इसके लिए कांग्रेस अपने विधायकों को अपने शासित राज्यों राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भेजने की तैयारी कर रही है।
एक बात तय है कि अगर बीजेपी व कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला तो जोड़-तोड़ और सेंधमारी के जरिये ही सरकार बनाई जा सकती है।
बीजेपी-कांग्रेस के दावे
दूसरी ओर, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि जब चुनाव नतीजे आएंगे बीजेपी को एग्जिट पोल के अनुमान से ज्यादा सीटें मिलेंगी और बीजेपी राज्य में फिर से सरकार बनाएगी। जबकि प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने कहा है कि चुनाव के नतीजे एग्जिट पोल से अलग होंगे और कांग्रेस के पक्ष में भारी बहुमत आएगा।
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