प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के महत्वाकांक्षी 'हर घर तिरंगा' अभियान को लेकर जैसे फ़ैसले लिए जा रहे हैं, उन पर लगातार विवाद क्यों हो रहा है? ताज़ा मामला उत्तराखंड का है। उत्तराखंड बीजेपी प्रमुख महेंद्र भट्ट ने कहा है कि 'यदि लोग अपने घरों पर तिरंगा नहीं फहराएँगे तो उनके राष्ट्रवाद पर सवाल उठाया जा सकता है।' उनके बयान वाला वीडियो सोशल मीडिया पर ख़ूब वायरल हो रहा है। बीजेपी नेता के इस तरह के 'हर घर तिरंगा' अभियान की विपक्षी दलों ने आलोचना की है।
भारत की आजादी के 75वें साल को मोदी सरकार ने 'आजादी का अमृत महोत्सव' नाम दिया है। पिछले महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 13 अगस्त से 15 अगस्त तक नागरिकों को अपने घरों में तिरंगा फहराने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए 'हर घर तिरंगा' अभियान शुरू किया था। रिपोर्टों में कहा गया है कि सरकार का लक्ष्य पूरे भारत में 20 करोड़ घरों में झंडे का सामूहिक प्रदर्शन करना है।
इसी के तहत 'हर घर तिरंगा' अभियान को प्रोत्साहित करने के लिए उत्तराखंड बीजेपी अध्यक्ष भट्ट ने एक कार्यक्रम को संबोधित किया। टीओआई की रिपोर्ट के अनुसार, बुधवार को हल्द्वानी में एक कार्यक्रम में भट्ट ने कहा, 'लोग उन घरों के मालिकों को विश्वास से नहीं देखेंगे जहाँ इस स्वतंत्रता दिवस पर तिरंगा नहीं फहराया जाएगा। ...मुझे उन घरों की तसवीरें दिलवाएँ जहाँ तिरंगा नहीं फहराया गया हो। लोग देखना चाहेंगे कि कौन राष्ट्रवादी है और कौन नहीं।'
बीजेपी नेता ने कहा, 'घर पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने में किसे समस्या हो सकती है? राष्ट्र उन पर भरोसा नहीं कर सकता जो देश का झंडा नहीं फहराते।'
भट्ट के बयान को 'मूर्खतापूर्ण टिप्पणी' क़रार देते हुए राज्य कांग्रेस के पूर्व प्रमुख गणेश गोदियाल ने कहा, 'एक राष्ट्रीय पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते उन्हें कुछ भी कहने से पहले दो बार सोचना चाहिए। मैं पहाड़ों की यात्रा पर हूँ और कई घरों पर तिरंगा नहीं देख रहा हूँ, शायद बीजेपी शासन में उनकी माली हालात ख़राब होने के कारण ऐसा है।'
भट्ट ने टीओआई से कहा, 'कांग्रेस ने मेरे बयान का गलत अर्थ निकाला है। अब यह कह रही है कि लोगों के पास राष्ट्रीय ध्वज खरीदने के लिए पैसे नहीं हैं। सरकार द्वारा विभिन्न माध्यमों से तिरंगा दिया जा रहा है और पार्टी इसमें मदद भी कर रही है। मैंने कहा है स्वतंत्रता दिवस पर अपने निवास पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने में किसी को दिक्कत क्यों होगी और अगर कोई अभी भी तिरंगा नहीं फहराना पसंद करता है, तो वे चाहे किसी धर्म, जाति और नस्ल का हो, उन लोगों पर देश भरोसा नहीं करेगा।'
रिपोर्ट के अनुसार, नाम न जाहिर करने की शर्त पर आम आदमी पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, 'उत्तराखंड एक पहाड़ी राज्य है और लोगों को दूर-दराज के स्थानों पर राष्ट्रीय ध्वज नहीं मिल सकता है। इस तरह के बयान आम लोगों के साथ बेहद अनुचित हैं।'
हाल में 'हर घर तिरंगा' अभियान के तहत ही जबरन तिरंगा झंडा बेचने को लेकर विवाद खड़ा हुआ है। सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में देखा जा सकता है कि राशन कार्ड धारक इसको लेकर आपत्ति जता रहे हैं।
उस वीडियो में कई लोगों की यह शिकायत है कि उन्हें जबरन तिरंगा झंडा दिया गया है। तिरंगा झंडा के लिए पैसा नहीं चुकाने पर राशन नहीं देने की भी शिकायतें की गई हैं।
इस वीडियो को बीजेपी सांसद वरुण गांधी ने ही ट्विटर पर साझा किया है। उन्होंने लिखा है कि आज़ादी की 75वीं वर्षगांठ का उत्सव ग़रीबों पर ही बोझ बन जाए तो दुर्भाग्यपूर्ण होगा। उन्होंने कहा है कि तिरंगा खरीदने के लिए मजबूर कर उनके हिस्से का राशन काटना, तिरंगे की कीमत ग़रीब का निवाला छीन कर वसूलना शर्मनाक है। उस वीडियो में कुछ महिलाओं से बात की गई है जिसमें महिलाएँ तिरंगा झंडे ली हुई हैं। एक महिला कहती हैं कि राशन देने पर झंडे के लिए 20 रुपये वसूले गए। एक अन्य महिला कहती हैं कि 20 रुपये नहीं थे तो पाँच किलो राशन कम दिया और झंडा दे दिया।
हर घर तिरंगा' अभियान के तहत प्रधानमंत्री मोदी ने दो अगस्त को अपने सोशल मीडिया खातों की डीपी यानी डिस्प्ले पिक्चर बदल दी और उसकी जगह तिरंगा लगा दिया। इसके साथ ही प्रधानमंत्री ने फ़ेसबुक, ट्विटर जैसे अपने खातों पर लिखा, 'आज 2 अगस्त का दिन विशेष है। ऐसे समय में जब हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं, हमारा देश हर घर तिरंगा जैसे सामूहिक आंदोलन के लिए तैयार है। मैंने अपने सोशल मीडिया पेजों पर डीपी बदल दी है और आप सभी से भी ऐसा करने का आग्रह करता हूँ।'
प्रधानमंत्री द्वारा यह आग्रह किए जाने पर भी सोशल मीडिया पर आरएसएस को लेकर आपत्ति उठाई गई कि आख़िर उसने या उससे जुड़े पदाधिकारियों ने अपने सोशल मीडिया खातों की डीपी क्यों नहीं बदली और तिरंगा क्यों नहीं लगाया। सोशल मीडिया पर इस पर भी काफी आलोचनाएँ हुईं।
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