हरिद्वार में चल रहे कुंभ मेले में हालात किस कदर ख़राब हैं, इसका पता यहां आ रहे कोरोना संक्रमण के मामलों से चलता है। इस मेले में शामिल हुए महामंडलेश्वर कपिल देव की कोरोना से मौत हो गई है और इस ख़बर के बाद शायद हुक्मरानों की आंख-कान खुल जाने चाहिए।
कपिल देव निर्वाणी अखाड़ा के महामंडलेश्वर थे और मध्य प्रदेश से कुंभ मेले में आए थे। यह पहले संत हैं जिनकी कोरोना से मौत हुई है। हालत बिगड़ने पर उन्हें देहरादून के कैलाश हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था, जहां उन्होंने दम तोड़ दिया।
5 दिन में 1,701 पॉजिटिव मामले
10 से 14 अप्रैल के बीच कुंभ मेले में कोरोना के 1,701 पॉजिटिव मामले सामने आए हैं। इनमें अखाड़ों के साधुओं से लेकर मेले में आए आम लोग शामिल हैं। मेले में 12 से 14 अप्रैल तक शाही स्नान चला और इसमें लाखों लोगों की भीड़ जुटी।
कुंभ मेले के जो वीडियो, फोटो सामने आए हैं, उसमें साफ देखा जा सकता है कि मास्क का कहीं पता नहीं है और सोशल डिस्टेंसिंग ज़ीरो है। लेकिन राज्य की तीरथ सिंह रावत सरकार दावा करती है कि वह कोरोना गाइडलाइंस का पूरी तरह पालन करवा रही है।
ऐसे वक़्त में जब भारत में कोरोना संक्रमण के एक ही दिन में 2 लाख से ज़्यादा मामले आ चुके हैं और कई देशों में मिले कोरोना के स्ट्रेन भारत में भी मिल रहे हैं तो आख़िर कौन सी आफ़त टूट पड़ी है कि कुंभ मेले को अभी करवाना ही था और अब इसे हर हाल में पूरा करवाना है। राज्य व केंद्र सरकार को क्या पता नहीं है कि 1 लाख से दो लाख मामले आने में सिर्फ़ 10 दिन का वक़्त लगा है।
कोरोना संक्रमण की बढ़ती रफ़्तार के बीच कुंभ में इस वायरस से संक्रमित लोग न आ सकें, इसके लिए राज्य सरकार ने 72 घंटे पहले की कोरोना नेगेटिव रिपोर्ट को लाना अनिवार्य कर दिया था। लेकिन बावजूद इसके इतनी बड़ी संख्या में लोग कोरोना पॉजिटिव हो रहे हैं और अब मौत होने की भी ख़बर आई है तो संकेत साफ है कि अब संभलने का वक्त निकलता जा रहा है।
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत शायद हालात की गंभीरता का अंदाजा नहीं लगा पा रहे हैं। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर बेकाबू हो गयी तो फिर इसे संभालना बस के बाहर हो जाएगा। देश के कई राज्यों में हालात लॉकडाउन तक पहुंच चुके हैं और कोई हैरानी नहीं होगी कि देश भर में लॉकडाउन लगाना ही पड़ जाए।
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