उत्तराखंड में जलाभिषेक को एक तरह से सरकारी कार्यक्रम बना दिया गया है। कांवड़ यात्रा के खत्म होने पर 26 जुलाई को जलाभिषेक होना है। उत्तराखंड की महिला अधिकारिता और बाल विकास मंत्री रेखा आर्य ने सभी जिला अधिकारियों और कर्मचारियों, आंगनवाड़ी और मिनी आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को 26 जुलाई को अपने घरों के पास शिव मंदिरों में 'जलाभिषेक' करने का निर्देश दिया है। उन्होंने कहा है कि उस जलाभिषेक की फोटो आधिकारिक ई-मेल और व्हाट्सएप समूहों पर पोस्ट की जाएं।
उनके आदेश से राज्य के सरकारी कर्मचारियों में हलचल है, क्योंकि हर कर्मचारी कांवड़ के दौरान जल लेने नहीं जाता है। सोशल मीडिया पर भी लोग इस निर्देश को लेकर आपत्तियां जता रहे हैं। लोगों का गुस्सा इस बात को लेकर है कि मंत्री के इस आदेश से एक धार्मिक कार्य सरकारी बनकर रह गया है। साथ ही मंत्री खुलकर उसके प्रचार के लिए भी निर्देश दे रही हैं।
लोगों का कहना है कि मंत्री का आदेश धार्मिक मामले में पहला ऐसा आधिकारिक निर्देश है, जहां महिलाओं और विभिन्न जातियों और उप-जातियों के सदस्यों की भावनाओं को नजरअंदाज किया गया है।
अपने आदेश में, आर्य ने कहा था कि भारत के 75 वें स्वतंत्रता दिवस से 75 सप्ताह पहले पिछले साल 12 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित 'आजादी का अमृत महोत्सव' कार्यक्रम के हिस्से के रूप में 'जलाभिषेक' का कार्य किया जाना चाहिए। सत्तारूढ़ बीजेपी इस अवसर को भारत की सामाजिक-सांस्कृतिक पहचान के हिस्से के रूप में पेश कर रही है।
कांवड़ियों का पैर धोते उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी
आर्य ने यह भी कहा कि महोत्सव जनवरी, 2015 में केंद्र सरकार द्वारा शुरू किए गए 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' कार्यक्रम के तहत भी मनाया जा रहा है।
उन्होंने एक अन्य आदेश में कहा था- एक कांवड़ यात्रा इस संदेश के साथ निकाली जाए कि "मुझे भी जन्म लेने दो, शिव के माह में शक्ति का संकल्प है।" इस कार्यक्रम में उनके मंत्रालय के तहत सभी सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों को भाग लेना आवश्यक करार दिया गया था।
मीडिया से बात करते हुए, उत्तराखंड कांग्रेस अध्यक्ष करण महारा ने कहा कि धर्म को सरकारी काम के साथ मिलाना गलत है। इससे गलत मिसाल कायम होती है।
उन्होंने दावा किया कि पहाड़ी राज्य में पहले कभी किसी मंत्री द्वारा ऐसा सरकारी आदेश जारी नहीं किया गया है। सोशल मीडिया पर भी लोगों ने इस व्यक्तिगत आस्था का विषय बताते हुए सरकारी आदेश का विरोध किया है।
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