उत्तराखंड में एक दलित युवक की हत्या सिर्फ इसलिए कर दी गई क्योंकि उसने ऊंची जाति की एक महिला के साथ विवाह किया था। अल्मोड़ा जिले के पनुवाधौखन निवासी जगदीश चंद्र एक स्थानीय राजनीतिक दल उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी से जुड़े थे और दो बार विधानसभा का चुनाव भी लड़ चुके थे।
जगदीश चंद्र ने 21 अगस्त को स्थानीय मंदिर में युवती से शादी की थी। शादी के बाद से ही जगदीश को उनकी पत्नी के सौतेले पिता जोगा सिंह और सौतेले भाई गोविंद सिंह जान से मारने की धमकी दे रहे थे। 27 अगस्त को जगदीश चंद्र की पत्नी गीता की ओर से प्रशासन को पत्र लिखकर सुरक्षा की मांग की गई थी।
मारपीट करते थे पिता और भाई
गीता ने एसएसपी, अल्मोड़ा को लिखे पत्र में कहा था कि उनके सौतेले पिता ने उनकी पढ़ाई छुड़ा दी थी और घर के काम में लगा दिया था। काम को लेकर उनके सौतेले पिता और सौतेले भाई उनके साथ मारपीट करते थे और रोज-रोज की मारपीट से वह और उनकी मां परेशान थी।
विवाहिता ने पत्र में लिखा था कि एक साल पहले जगदीश से उनकी मुलाकात एक स्थानीय बाजार में हुई थी। उसके बाद दोनों की बातचीत होती रही और उन्होंने शादी करने का फैसला किया। गीता ने लिखा था कि उन्होंने अपनी मां से भी जगदीश चंद्र को मिलवाया था और इस साल 26 मई को वह जगदीश के साथ अल्मोड़ा आ गई थी और तब शादी करना चाहती थी। लेकिन उनके सौतेले पिता उन्हें अल्मोड़ा से जबरदस्ती अपने साथ ले गए और धमकी दी थी कि अगर उसने जगदीश से शादी की तो वह उसे जान से मार देंगे।
7 अगस्त की रात को वह अपने घर से निकलकर जगदीश के पास पहुंच गई और बालिग होने की बात कहते हुए साथ में रहने का फैसला किया। 21 अगस्त को उन्होंने शादी कर ली। विवाहिता ने इस पत्र में सौतेले पिता और सौतेले भाई के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने और उन्हें सुरक्षा देने की मांग की थी।
लेकिन यह साफ है कि पुलिस ने उनकी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं की।
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जगदीश का किया अपहरण
स्थानीय समाचार पत्रों के मुताबिक, 30 अगस्त को जगदीश चंद्र किसी ठेकेदार से मिलने के लिए भिकियासैंण इलाके के जालली गांव गए थे लेकिन जब इसका पता गीता के सौतेले भाई और पिता को चला तो दोनों ने 1 सितंबर को 11 बजे जगदीश का अपहरण कर लिया। इसके बारे में ठेकेदार ने पुलिस को सूचना भी दी थी। राजस्व पुलिस ने जगदीश की खोज की तो उसी दिन रात करीब 10 बजे एक कार दिखाई दी जिसमें जगदीश का शव पड़ा था।
पुलिस ने मौके से गीता के सौतेले पिता, भाई और मां को गिरफ्तार कर लिया। सभी पर एससी-एसटी एक्ट के तहत मुकदमा पंजीकृत कर उन्हें जेल भेज दिया गया है।
1 करोड़ रुपए की सहायता देने की मांग
उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के अध्यक्ष पीसी तिवारी ने कहा है कि अगर प्रशासन ने नवविवाहित दंपति को सुरक्षा दी होती तो यह घटना नहीं होती। उन्होंने विवाहिता को 1 करोड़ रुपए की आर्थिक सहायता देने की मांग की है।
दलित भोजन माता मामला
उत्तराखंड के चंपावत जिले के एक सरकारी स्कूल में सवर्ण छात्रों द्वारा दलित भोजन माता के हाथों बना खाना खाने से इनकार कर दिया गया था। यह स्कूल जौल गांव में है और इसका नाम स्वतंत्रता संग्राम सेनानी श्री रामचंद्र सरकारी इंटर कॉलेज है। उत्तराखंड के सरकारी स्कूलों में भोजन माता मिड डे मील योजना के तहत स्कूल में बच्चों के लिए भोजन बनाने का काम करती हैं।
वंदना कटारिया पर जातीय टिप्पणियां
जातीय अहंकार के कारण दलितों के साथ मारपीट, दूल्हे को घोड़ी से उतार देना, मंदिर जाने पर भेदभाव होने की ख़बरें इस आधुनिक युग में भी आम हैं। लेकिन ऊंची जाति की महिला से शादी करने पर दलित युवक की हत्या कर देना घिनौनी जातिवादी सोच का वीभत्स रूप है।
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