अंकिता भंडारी मर्डर केस में जांच कर रही एसआईटी ने कोटद्वार कोर्ट में अर्जी लगाई है कि मुख्य आरोपी पुलकित आर्य समेत सभी मुलजिम उसे रिमांड पर सौंपे जाएं, ताकि उनसे पूछताछ की जा सके। इस बीच कोटद्वार के वकीलों ने आरोपियों का केस नहीं लड़ने का फैसला किया है।
कोटद्वार की कोर्ट में गुरुवार को आरोपियों की जमानत याचिका पर न्यायिक मजिस्ट्रेट 1 भावना पांडे की कोर्ट में सुनवाई की जानी थी। लेकिन एसआईटी ने उसका विरोध करते हुए कहा कि मुलजिमों से अभी उसने पूछताछ नहीं की है। इसलिए सभी मुलजिम उसे रिमांड पर सौंपे जाए। इस समाचार के लिखे जाने तक कोर्ट ने एसआईटी की इस याचिका पर अभी कोई आदेश पारित नहीं किया है। दूसरी तरफ
उत्तराखंड कानूनी प्राधिकरण द्वारा जमानत याचिका दायर करने के लिए तीन आरोपियों को नियुक्त किए गए रिमांड वकील ने भी मामले से अपना वकालतनामा वापस ले लिया है। आरोपियों को प्रदान किए गए रिमांड वकील जितेंद्र रावत ने कहा कि मैं उनका निजी वकील नहीं था। कानूनी प्राधिकरण प्रत्येक विचाराधीन कैदी को जब वकील नहीं मिलते हैं तो एक वकील उपलब्ध कराता है। इसलिए मैंने आरोपी की ओर से जमानत अर्जी दाखिल की थी। लेकिन सार्वजनिक आक्रोश और तीनों आरोपियों के खिलाफ आरोपों की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए, मैंने उस जमानत याचिका को भी वापस ले लिया है।
कोटद्वार बार एसोसिएशन ने आम राय से फैसला लिया है कि इस मामले में आरोपियों का मुकदमा कोई भी वकील नहीं लड़ेगा। पूरे उत्तराखंड को झकझोर देने वाले इस हत्याकांड से समाज का हर वर्ग नाराज है। इस मामले में बीजेपी नेता और पूर्व मंत्री डॉ विनोद आर्य का बेटा पुलकित आर्य, मैनेजर अंकित गुप्ता और सौरभ भास्कर आरोपी हैं। पुलकित मुख्य आरोपी है।
19 वर्षीय अंकिता भंडारी की वनंतरा रिसॉर्ट के मालिक पुलकित आर्य ने हत्या कथित तौर पर हत्या कर दी थी। वह रिसॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट के रूप में हाल ही में लगी थी, लेकिन 19 सितंबर को लापता हो गई। बाद में उसका शव पास की एक नहर से बरामद किया गया था। आरोप है कि रिसॉर्ट मालिक पुलकित आर्य अंकिता भंडारी को वेश्यावृत्ति में उतारना चाहता था। उसे उस दिन किसी खास वीआईपी को पेश किया जाना था। जब उसने मना कर दिया तो आरोपों के मुताबिक पुलकित आर्य और उसके दोनों सहयोगियों ने उसे नहर में धक्का दे दिया।
इसके बाद हुए घटनाक्रम में अचानक ही उस रिसॉर्ट को गिरा कर तमाम सबूत मिटा दिए गए। रिसॉर्ट के उस कमरे में सबसे पहले आग लगाई गई, जहां वो खास वीआईपी ठहरा हुआ था या आने वाला था। उसके बाद प्रचारित किया गया कि भीड़ ने गुस्से में रिसॉर्ट जला दिया। बाद में यह बात सामने आई कि प्रशासन या पुलिस ने तो रिसॉर्ट को बुलडोजर से गिराने का आदेश दिया ही नहीं था। जबकि राज्य के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने बुलडोजर की कार्रवाई पर अपनी सरकार की पीठ ठोंकी थी। कुल मिलाकर अंकिता भंडारी हत्याकांड के सबूत मिटाने की जबरदस्त कोशिश हुई। परिवार और लोगों का गुस्सा इसी बात पर ज्यादा है।
इस मुद्दे पर पुलकित के पिता औऱ पूर्व मंत्री डॉ विनोद आर्य ने बयान दिया था कि पुलकित तो सीधासाधा बालक है। बीजेपी ने हालांकि विनोद आर्य और उनके बेटे को फौरन सभी पदों से हटा दिया लेकिन यह सवाल भी उठा कि कैसे एक ही परिवार के दो लोग उत्तराखंड सरकार में लाभ के पदों पर थे।
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