योगी मंत्रिमंडल 2.0 क्षेत्रीय, जातीय संतुलन और समीकरण का नमूना है। जिस कैबिनेट में 21 सवर्ण, 20 ओबीसी और 9 दलित हों, वो बताता है कि बीजेपी 2024 के आम चुनाव की तैयारी में जुट गई है। उपमुख्यमंत्री के रूप में फिर से केशव प्रसाद मौर्य और नए डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक की नियुक्ति बताती है कि योगी ने किस तरह ओबीसी औऱ ब्राह्मण के बीच संतुलन रखा है। हालांकि इससे पहले भी यही संतुलन था, लेकिन इस बार दिनेश शर्मा की जगह ब्रजेश पाठक ने ले ली है। समझा जाता है कि दिनेश शर्मा को संगठन में कोई जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। इस बार वाराणसी को काफी महत्व मिला है। जिले से तीन विधायक मंत्री पद तक पहुंचे हैं। इसी तरह पूर्वांचल के तमाम जिलों को प्रतिनिधित्व दिया गया है। कुल 52 मंत्रियों में ऐसा कोई इलाका नहीं बचा, जिसे मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व नहीं मिला हो।
मंत्रियों में बेबीरानी मौर्य और लक्ष्मी नारायण चौधरी की ताजपोशी बहुत खास है। बेबीरानी मौर्य उत्तराखंड की राज्यपाल थीं। उनसे इस्तीफा दिलवाकर बीजेपी उनको यूपी की राजनीति में लाई गई हैं। बीजेपी उन्हें पार्टी का दलित चेहरा बनाना चाहती है। लक्ष्मी नारायण चौधरी पश्चिमी यूपी के जाट नेता हैं। इस बार विधानसभा चुनाव में जिस तरह बीजेपी का गणित जाट बेल्ट में गड़बड़ाने की नौबत आई थी, उसे देखते हुए चौधरी को कैबिनेट मंत्री बनाया गया है।बेबीरानी मौर्य के अलावा असीम अरुण भी पार्टी का दलित चेहरा हैं। पूर्व आईपीएस असीम अरुण यूपी एटीएस चीफ रह चुके हैं। उनके पिता अरुण राम यूपी के डीजीपी रहे हैं। असीम अरुण जब कानपुर के पुलिस कमिश्नर थे तो वहां नौकरी से इस्तीफा देने के बाद बीजेपी में आए और कन्नौज से चुनाव लड़ा।
कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ लेने अरविन्द कुमार शर्मा भी महत्वपूर्ण नाम है। उन्हें पीएम मोदी के नजदीकी के रूप में प्रचारित किया गया था। मोदी ही उन्हें पीएमओ में ले आए थे। वो रिटायर्ड आईएएस हैं। पिछले कार्यकाल में कोरोना की दूसरी लहर के बाद जब योगी को हटाने की कयासबाजी चल रही थी तो अरविन्द के बारे में भावी सीएम के रूप में भी चर्चा चल पड़ी थी। लेकिन वो सिर्फ चर्चा भर रही। लेकिन अब कैबिनेट में उन्हें लाया गया है। देखना है कि उन्हें योगी कौन सा विभाग देते हैं। उनके विभाग से ही उनका अगला कद तय होगा।
पार्टी ने इसी तरह वैश्य समुदाय, कुर्मी समुदाय, प्रजापति समुदाय, राजभर समुदाय, कायस्थ समुदाय का भी ध्यान रखा है।
बीजेपी ने अपने दो सहयोगियों अपना दल और निषाद समाज पार्टी का खास ध्यान रखा है। अपना दल के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष आशीष पटेल और निषाद समाज पार्टी के डॉ संजय निषाद को कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिला है। आशीष पटेल केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल के पति भी हैं। इसी तरह राज्य मंत्रियों के रूप में भी कुछ को जगह दी गई है।
मुस्लिम चेहराः पार्टी ने अपने पिछले मुस्लिम चेहरे मोहसिन रजा को इस बार ड्रॉप करके दानिश आजाद अंसारी को जगह दी है। हालांकि उन्हें राज्य मंत्री का दर्जा मिला है, लेकिन युवा होने के नाते उनमें असीम संभावनाएं जताई जा रही हैं।
दलित चेहरेः योगी कैबिनेट में बेबीरानी मौर्य और अरुण असीम के अलावा भी कई दलित चेहरे हैं। जिनमें गुलाब देवी, दिनेश खटिक, संजीव गोंड, सुरेश राही, विजय लक्ष्मी गौतम, अनूप प्रधान और मनोहर लाल कोरी प्रमुख हैं।
जो जगह नहीं पा सके
योगी कैबिनेट में इस बार सिद्धार्थनाथ सिंह, दिनेश शर्मा, श्रीकांत शर्मा, सतीश महाना जगह नहीं पा सके। समझा जाता है कि इन लोगों का इस्तेमाल संगठन में किया जाएगा।
योगी कैबिनेट का ब्यौरा
डिप्टी सीएम- केशव प्रसाद मौर्य, ब्रजेश पाठक।
कैबिनेट मंत्रीः सुरेश खन्ना, सूर्य प्रताप शाही, स्वतंत्र देव सिंह, बेबीरानी मौर्य, लक्ष्मी नारायण चौधरी, जयवीर सिंह, धर्मपाल सिंह, नंदगोपाल गुप्ता नंदी, भूपेंद्र सिंह चौधरी, अनिल राजभर, जितिन प्रसाद, राकेश सचान, अरविन्द कुमार शर्मा, योगेंद्र उपाध्याय, आशीष पटेल (अपना दल), डॉ. संजय कुमार निषाद (निषाद समाज पार्टी), डा. अरुण सक्सेना, दयाशंकर मिश्रा दयालु।
राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार)ः नितिन अग्रवाल, कपिलदेव अग्रवाल, रवीन्द्र जायसवाल, संदीप सिंह, गुलाब देवी, गिरीश चंद्र यादव, धर्मवीर प्रजापति, असीम अरुण, जयंत प्रताप सिंह राठौर, दया शंकर सिंह, नरेंद्र कश्यप, दिनेश प्रताप सिंह।
राज्य मंत्रीः मयंकेश्वर सिंह, दिनेश खटीक,संजीव गोंड, बलदेव सिंह औलख, अजीत पाल, जसवंत सैनी, रामकेश निषाद, मनोहर लाल मन्नू कोरी, संजय गंगवार, बृजेश सिंह, केपी मालिक, सुरेश राही, सोमेन्द्र तोमर, अनूप प्रधान वाल्मीकि, प्रतिभा शुक्ला, राकेश राठौर गुरु,रजनी तिवारी, सतीश शर्मा, दानिश आजाद अंसारी, विजय लक्ष्मी गौतम।
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