योगी कैबिनेट में जगह पाने वाले दानिश अभी विधानसभा या विधान परिषद (एमएलसी) में से किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं। समझा जाता है कि बीजेपी उन्हें एमएलसी बनवाएगी।
बलिया के बसंतपुर गांव में जश्न शुरू हो चुका है। गांव वालों ने कभी सोचा भी नहीं था कि उनके गांव का कोई युवक यूपी में मंत्री भी बन जाएगा। दानिश आजाद अंसारी ने योगी कैबिनेट में राज्य मंत्री के रूप में शपथ ली है। हालांकि दानिश की हायर स्टडी लखनऊ में हुई है लेकिन वो गांव से हमेशा जुड़े रहे। लखनऊ यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के दौरान ही दानिश छात्र राजनीति में कूदे औऱ अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ज्वाइन कर ली।
32 साल के दानिश अंसारी 2010 में एबीवीपी में शामिल हुए थे, जब वह लखनऊ यूनिवर्सिटी के छात्र थे। उन्होंने पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन और क्वॉलिटी मैनेजमेंट में मास्टर्स किया है। लखनऊ यूनिवर्सिटी में आने से पहले वो स्कूल लेवल की पढ़ाई के लिए बलिया के होली क्रॉस स्कूल में थे।
उन्हें अक्टूबर 2018 में योगी सरकार ने उर्दू भाषा समिति में राज्य मंत्री का दर्जा दिया था। समझा जाता है कि दानिश को मंत्री बनाने का प्रस्ताव न सिर्फ अल्पसंख्यक मोर्चा, बल्कि संघ के कतिपय नेताओं की तरफ से भेजा गया था। भाषा समिति की बैठकों में भी दानिश को काफी सक्रियता से भाग लेने से पार्टी उन्हें नोटिस कर रही थी।
पार्टी ने पिछले साल उन्हें बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा का महासचिव बनाया है। दानिश अपने गांव से लेकर लखनऊ तक मुस्लिम समुदाय के कार्यक्रमों में हिस्सा लेते रहे हैं और वो हर जगह खुद को भाजपा वाला मुसलमान बताते हैं। यूपी में बीजेपी के जीतने पर सोशल मीडिया पर उन्होंने जिस ढंग से इस जीत को सभी धर्मों की जीत बताया, पार्टी के नेता उनकी इस गतिविधि से काफी खुश हैं। पार्टी नेताओं का कहना है कि दानिश अभी युवा हैं और उनमें बीजेपी की अल्पसंख्यक राजनीति में दूर तक जाने की संभावना है।
अपनी राय बतायें