लखीमपुर में किसानों को रौंदने वाले उन तीन कारों के काफिले में शामिल मंत्री के बेटे का समर्थक और प्रत्यक्षदर्शी का एक वीडियो सामने आया है। वीडियो में एक पुलिसकर्मी उससे मौके पर पूछताछ कर रहा है। उसमें वह स्वीकार करता है कि जिस गाड़ी ने किसानों को रौंदा था उसमें केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा सवार था।
रविवार को तीन गाड़ियों के काफिले ने किसानों को रौंद दिया था। उसमें 4 किसानों की मौत हो गई थी। हालाँकि मंत्री अजय मिश्रा और आशीष दोनों दावा करते रहे हैं कि आशीष उस वक़्त घटनास्थल पर था ही नहीं। अब आए इस ताज़ा वीडियो से उनके दावे पर सवाल खड़े हो रहे हैं। इस वीडियो की प्रमाणिकता की पुष्टि स्वतंत्र रूप से 'सत्य हिंदी नहीं कर सका है, लेकिन इस वीडियो को सोशल मीडिया पर शेयर किया जा रहा है।
एनसीपी नेता होने का दावा करने वाले सलीम सारंग नाम के ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया गया है कि एक चश्मदीद बयान दे रहा है कि बीजेपी मंत्री का बेटा कार में था। वह पूछते हैं कि यूपी पुलिस कितने सबूत से साबित करना चाहती है?
An eyewitness who was in the car with the BJP minister's son giving statement that the BJP minister's son was driving the car. How many proofs UP police want to establish that son of a union minister was driving the car that moved down farmers at Lakhimpur? #IndiaDemandsJustice pic.twitter.com/3Zp0ZavzCb
— Saleem Sarang (@Sarangsspeaks) October 6, 2021
हालाँकि यह वीडियो पूरी पूछताछ का छोटा सा अंश ही है। वीडियो में देखा जा सकता है कि खून से लथपथ वह व्यक्ति ज़मीन पर बैठा है, जबकि पुलिस अधिकारी हाथ में माइक लिए हुए उससे पूछताछ करता दिख रहा है। एक सवाल के जवाब में वह शख्स कहता है कि वह एक काले रंग की फॉर्च्यूनर में था जिसमें पांच लोग थे। एक अन्य बड़े वीडियो वाले हिस्से में उसे कहते सुना जा सकता है कि जिस कार में वह बैठा था वह कांग्रेस के एक पूर्व सांसद के भतीजे अंकित दास की कार थी। सोशल मीडिया पर दावा किया जा रहा है कि उनके बीजेपी नेताओं से क़रीबी संबंध थे।
Here are a few pic of Ankit Das, Nephew of Ex Congress MP.
— Mohammed Zubair (@zoo_bear) October 6, 2021
BTW are even you @Shehzad_Ind are Ex Congress Member no? 🤷🏾♂️ https://t.co/IChh264hlk pic.twitter.com/Qoe4nPxckH
फिर हाथ में माइक लिए पुलिसकर्मी पूछता है, 'आगे एक और गाड़ी थी वो किसकी थी?' पहले वह कहता है, 'मुझे नहीं मलूम।' फिर पुलिसकर्मी दबाव देकर पूछता है, 'थार किसके साथ थी इतना बता दो?' वह शख्स जवाब देता है, 'भैया के साथ थी।'
फिर पुलिसकर्मी पूछता है, 'मतलब सब उन्हीं के लोग थे ना?' वह कबूल करता है, 'हाँ सब उन्हीं के लोग थे।'
बता दें कि केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा के समर्थक और उनके क़रीबी लोग उन्हें 'भैया' बुलाते हैं।
इससे पहले के एक वायरल वीडियो में दिखा था कि एक थार किसानों को रौंदते हुए निकली थी। वीडियो में देखा जा सकता है कि प्रदर्शनकारियों का एक समूह खेतों के बीच एक सड़क पर आगे बढ़ रहा है। फिर पीछे से तेज गति से आ रही एक ग्रे एसयूवी से उनको कुचल दिया जाता है। गाड़ी की तेज गति होने से एक व्यक्ति तो उछलकर बोनट के ऊपर गिरता है। सड़क के किनारे कई लोग बिखरे पड़े नज़र आते हैं। उस ग्रे एसयूवी के पीछे-पीछे दो और गाड़ियाँ निकलती हैं।
हालाँकि, पहले वाले इस वीडियो की भी स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं की जा सकी है, लेकिन इसे विपक्षी नेताओं के अलावा, सत्तारूढ़ बीजेपी के एक सांसद वरुण गांधी ने भी साझा किया है।
किसानों का आरोप है कि केंद्रीय मंत्री के बेटे ने उन्हें कार से कुचला। लेकिन केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी इससे इनकार करते रहे हैं कि उनके बेटे मोनू ने किसी को कुचला है। उन्होंने तो यहाँ तक दावा किया है कि उनका बेटा घटनास्थल पर था ही नहीं।
बता दें कि आरोपी पर एफ़आईआर दर्ज हो गई, किसानों को कार से रौंदने का वीडियो आ गया, कई चश्मदीदों ने बयान दिया और भी कई दूसरे सबूत आ गए, लेकिन अब तक न तो मंत्री को बर्खास्त किया गया है और न ही उनके बेटे की गिरफ़्तारी हुई है। किसान नेता राकेश टिकैत ने इन दोनों मांगों को लेकर सरकार को चेतावनी दी है। उन्होंने कहा है कि एक हफ़्ते में यदि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी को बर्खास्त नहीं किया जाता है और उनके बेटे आशीष मिश्रा उर्फ मोनू को गिरफ़्तार नहीं किया जाता है तो वे फिर से वहाँ इकट्ठे होंगे और आगे की रणनीति बनाएँगे।
टिकैत ने कहा है कि लखीमपुर खीरी में फ़ैसला आंदोलन की समाप्ति नहीं है। उन्होंने कहा है कि सरकार तय सीमा में अपने वादे पूरे करे।
राकेश टिकैत ने मंगलवार शाम को संवाददाताओं से कहा कि उन्होंने सरकार को मिश्रा के बेटे को गिरफ्तार करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया है। टिकैत ने कहा कि भविष्य की रणनीति तय करने के लिए 'हम भोग के दिन फिर से यहां इकट्ठा होंगे' यानी किसानों की मौत के 13 दिन बाद वे फिर से जुटेंगे।
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