लखीमपुर खीरी में 4 किसानों सहित 8 लोगों की मौत के मामले में पीड़ित परिवारों को इंसाफ़ देने की मांग करना शायद बीजेपी सांसद वरूण गांधी को भारी पड़ गया है। गुरूवार को घोषित की गई बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में न तो वरूण गांधी को जगह मिली है और न ही उनकी मां और पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी को। बीजेपी के इस क़दम का और क्या मतलब समझा जाना चाहिए।
वरूण गांधी उत्तर प्रदेश की पीलीभीत सीट से जबकि मेनका गांधी सुल्तानपुर सीट से सांसद हैं।
वरूण गांधी लखीमपुर की घटना में मारे गए किसानों के हक़ में आवाज़ उठा रहे हैं। उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर इस मामले में सख़्त से सख़्त कार्रवाई करने की मांग की थी।
ऐसे वीडियो जिनमें ये साफ दिख रहा है कि किसानों को मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे की गाड़ी ने रौंद दिया, उन वीडियो को भी वरूण गांधी ने ट्वीट किया है।
वरूण ने कहा है कि प्रदर्शनकारियों को हत्या करके चुप नहीं कराया जा सकता है और पीड़ित परिवारों को इंसाफ़ मिलना चाहिए। वरूण ने कुछ दिन पहले गोडसे जिंदाबाद के नारे लगाने वालों को भी लताड़ा था। उन्होंने कहा था कि ऐसे लोग इस देश को शर्मिंदा कर रहे हैं।
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बोलने पर होगी कार्रवाई?
उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव नज़दीक हैं और ऐसे वक़्त में लखीमपुर खीरी की घटना को लेकर योगी सरकार जबरदस्त दबाव में है। लेकिन इस चुनावी राज्य से अपने दो सांसदों को राष्ट्रीय कार्यकारिणी से बाहर कर पार्टी ने क्या संदेश दिया है। क्या संदेश यह है कि जो भी नेता पार्टी को असहज करने वाले बयान देगा, उसके ख़िलाफ़ कार्रवाई होगी।
लेकिन बीजेपी ने महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे का महिमांडन करने वाले अपने सांसदों या नेताओं पर दिखावे के अलावा कोई सख़्त कार्रवाई कभी नहीं की। बाक़ायदा उन्हें पार्टी में बड़े ओहदे दिए।
होगा चुनावी नुक़सान?
लखीमपुर खीरी की घटना बीजेपी को काफी भारी पड़ सकती है। इस घटना की वजह से पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बाद किसान आंदोलन यहां से बाहर भी मजबूत होता दिख रहा है क्योंकि कई जगहों पर किसान बड़ी संख्या में सड़कों पर उतरे हैं।
किसानों और विपक्षी दलों के द्वारा हमला बोलने के कारण लखीमपुर खीरी के अलावा इसके पड़ोसी जिलों- पीलीभीत, शाहजहांपुर, हरदोई, सीतापुर और बहराइच में भी बीजेपी को राजनीतिक नुक़सान हो सकता है।
लिखी थी किताब
बीजेपी सांसद वरुण गांधी ने तीन साल पहले ‘ए रूरल मैनिफ़ेस्टो’ के नाम से किताब लिखी थी। वरुण की यह क़िताब किसानों के संघर्ष और गांवों की परेशानियों के बारे में बताती है। किताब बताती है कि खेती करना बहुत कठिन हो गया है और किसानों की आत्महत्या की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं।
वरुण गांधी का कहना है कि किसानों की ख़राब माली हालत बड़ा मुद्दा है। उनके अनुसार, आज के समय में किसान अपने बच्चों को खेती के काम में नहीं लगाना चाहते और इसके लिए आर्थिक कारण ज़िम्मेदार हैं। वरुण के अनुसार, हमें ख़राब आर्थिक हालात का सामना कर रहे किसानों के लिए बेहतर नीतियां बनाने की ज़रूरत है।
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