ज्ञानवापी मस्जिद के मामले में वाराणसी की निचली अदालत ने मंगलवार को कोर्ट कमिश्नर अजय मिश्रा को हटा दिया है जबकि बाकी दोनों कोर्ट कमिश्नर को बरकरार रखा गया है। मुसलिम पक्ष लगातार अजय मिश्रा को हटाने की मांग कर रहा था। पहले अदालत ने इस मांग को ठुकरा दिया था लेकिन अब अदालत ने इस मामले में खुद ही कार्रवाई की है।
अदालत ने कहा है कि कोर्ट कमिश्नर की जिम्मेदारी बेहद अहम होती है और उन्हें बेहद पारदर्शिता के साथ काम करना चाहिए। अदालत ने कहा कि अजय मिश्रा के सहयोगी कैमरामैन मीडिया में सूचनाएं लीक कर रहे थे इसलिए यह कार्रवाई की गई है और यह जिम्मेदारी विशाल सिंह को दी गई है।
सूचनाएं लीक करने के आरोप आरोप विशाल सिंह की ओर से लगाए गए थे। एक और कोर्ट कमिश्नर अजय प्रताप सिंह विशाल सिंह के मार्गदर्शन में काम करेंगे।
2 दिन का वक्त दिया
उधर, अदालत ने सर्वे टीम को रिपोर्ट देने के लिए 2 दिन का वक्त दे दिया। बुधवार को निचली अदालत में दीवार को तोड़े जाने संबंधी याचिका पर सुनवाई होगी। यह दीवार नंदी के सामने है।2 दिन के बाद जब अदालत के सामने रिपोर्ट आएगी तो उसे देखने के बाद ही अदालत कोई फैसला इस मामले में दे सकेगी। कहा जा रहा है कि सर्वे रिपोर्ट लगभग तैयार है लेकिन उसे अंतिम रूप देने में दो दिन का वक्त और लगेगा।
उधर, मंगलवार को इस मामले में दो और याचिका निचली अदालत में दायर की गई हैं। एक याचिका सरकारी पक्ष की ओर से जबकि दूसरी याचिका हिंदू पक्ष की ओर से दायर की गई है।
फव्वारे और शिवलिंग पर लड़ाई
ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वे के बाद से हिंदू और मुस्लिम पक्ष एक नई लड़ाई में उलझ गए हैं। हिंदू पक्ष का कहना है कि मस्जिद के अंदर से जो आकृति मिली है वह शिवलिंग की है जबकि मुस्लिम पक्ष ने साफ कहा है कि यह फव्वारा है।
मुस्लिम पक्ष के वकील रईस अहमद अंसारी ने आज तक से बातचीत में कहा कि शिवलिंग का दावा करने वाला जो वीडियो वायरल हो रहा है वही दृश्य मस्जिद के अंदर दिखा है लेकिन शिवलिंग का दावा गलत है। अंसारी ने कहा कि वह 100 फीसद दावे के साथ कह रहे हैं कि वह फव्वारा है।
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