ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वे के बाद से हिंदू और मुसलिम पक्ष एक नई लड़ाई में उलझ गए हैं। हिंदू पक्ष का कहना है कि मस्जिद के अंदर से जो आकृति मिली है वह शिवलिंग की है जबकि मुसलिम पक्ष ने साफ कहा है कि यह फव्वारा है।
मुसलिम पक्ष के वकील रईस अहमद अंसारी ने आज तक से बातचीत में कहा कि शिवलिंग का दावा करने वाला जो वीडियो वायरल हो रहा है वही दृश्य मस्जिद के अंदर दिखा है लेकिन शिवलिंग का दावा गलत है।
अंसारी ने कहा कि वह 100 फीसद दावे के साथ कह रहे हैं कि वह फव्वारा है।
उन्होंने कहा कि वह फव्वारा ही है और शिवलिंग में कोई सुराख नहीं होता जबकि इस आकृति में एक सुराख है। उन्होंने कहा कि फव्वारे के ऊपर कुछ चीज रखकर उसे कसा गया होगा जिससे वह टूट गया।
अंसारी ने कहा कि उसमें पानी निकलने का आधा इंच का पाइप है और उसके अंदर लोहे की एक सीख भी डाली गई थी। उन्होंने कहा कि फव्वारे का ऊपरी हिस्सा टूट चुका है इसलिए वह काम नहीं कर रहा है।
फव्वारे और शिवलिंग के बीच चल रहे इस विवाद के चलते बीते 2 दिनों से सोशल मीडिया से लेकर लोगों के जमघट के बीच यही चर्चा है कि आखिर सच क्या है।
बयानों की सियासत
इस मामले में तमाम राजनेताओं के बयान भी लगातार आ रहे हैं। जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा है कि केंद्र सरकार मुद्दों से ध्यान भटकाना चाहती है। जबकि एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है कि ज्ञानवापी मस्जिद है और कयामत तक मस्जिद ही रहेगी।
अजय मिश्रा को हटाया
उधर, वाराणसी की निचली अदालत ने मंगलवार को कोर्ट कमिश्नर अजय मिश्रा को हटा दिया है जबकि बाकी दोनों कोर्ट कमिश्नर को बरकरार रखा गया है। मुसलिम पक्ष लगातार अजय मिश्रा को हटाने की मांग कर रहा था। पहले अदालत ने इस मांग को ठुकरा दिया था लेकिन अब अदालत ने इस मामले में खुद ही कार्रवाई की है।
अदालत ने कहा है कि कोर्ट कमिश्नर की जिम्मेदारी बेहद अहम होती है और उन्हें बेहद पारदर्शिता के साथ काम करना चाहिए। अदालत ने कहा कि अजय मिश्रा के सहयोगी कैमरामैन मीडिया में सूचनाएं लीक कर रहे थे इसलिए यह कार्रवाई की गई है और यह जिम्मेदारी विशाल सिंह को दी गई है।
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