पिछले हफ़्ते ही खुदरा महंगाई 8 साल के रिकॉर्ड स्तर पर पहुँचने की ख़बर आई थी और अब थोक महंगाई तीन दशक में सबसे ऊँचे स्तर पर पहुँच गयी है। वैसे तो थोक महंगाई का तत्काल व सीधा असर आम उपभोक्ताओं पर तो नहीं पड़ता है, लेकिन बाद में इसका असर खुदरा महंगाई पर पड़ता है। यानी अभी जो थोक महंगाई बढ़ी है उसका देर से ही सही, आप पर भी पड़ेगा ही!
'ज्ञानवापी' के शोर के बीच थोक महंगाई 3 दशक के रिकॉर्ड स्तर पर
- अर्थतंत्र
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- 29 Mar, 2025
पिछले कुछ दिनों से भले ही वाराणसी के ज्ञानवापी मसजिद विवाद पर चारों तरफ़ शोर है, लेकिन इस शोर के बीच ही महंगाई के आँकड़े भी सामने आए हैं। जानिए, खुदरा के बाद अब थोक महंगाई का हाल।

वाणिज्य मंत्रालय द्वारा मंगलवार को जारी आंकड़ों से पता चला है कि अप्रैल में थोक महंगाई 15.08% हो गई है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार इससे ज़्यादा महंगाई सितंबर 1991 में थी जब थोक मूल्य सूचकांक महंगाई 16.31 फ़ीसदी के उच्चतम स्तर पर पहुंच गयी थी। पिछले महीने यानी मार्च में थोक महंगाई 14.27 फ़ीसदी थी। थोक महंगाई बढ़ने का कारण सब्जियों, फलों, दूध और ईंधन की क़ीमतों में वृद्धि है।